Delhi Violence Case: दिल्ली दंगों में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपित ताहिर हुसैन के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोप तय किए. कोर्ट ने ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की धारा सेक्शन 3 और 4 के खिलाफ आरोप तय किया है. वही कोर्ट ने ताहिर हुसैन को जमानत देने से भी इंकार कर दिया है. ताहिर हुसैन पर दंगा कराने के लिए डमी कंपनी बनाकर 1.10 करोड़ रुपये जुटाने का आरोप लगाते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने उसके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था.
इसमें सहयोग करने के लिए रोहिणी के कारोबारी अमित गुप्ता को भी सह आरोपित बनाया गया था. इस मामले में पिछले साल मार्च में अमित गुप्ता ने सरकारी गवाह बनने के लिए अर्जी दायर की थी. अर्जी में उसने कहा था कि वह जांच में पूर्ण सहयोग करने और साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए तैयार है. इस अर्जी का ताहिर हुसैन के वकील ने विरोध किया था. फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में आइबी कर्मी अंकित शर्मा, हेड कांस्टेबल रतनलाल समेत 53 लोग मारे गए थे.
फर्जी कंपनियां बनाकर पैसे जुटाने का आरोप
दिल्ली दंगे के मामले में ईडी ने ताहिर हुसैन के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ताहिर ने तीन डमी कंपनियां (CPCL, ECPL, EGSPL) बनाकर अवैध तरीके से 1.59 करोड़ रुपये जुटाए थे और उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगा भड़काने के लिए इस राशि को लोगों में बांटा था.
ताहिर की लेन-देन की डायरी ईडी के पास
ताहिर पर लगे इन आरोपों पर बहस के दौरान विशेष लोक अभियोजक एनके मट्टा ने ईडी की ओर से पक्ष रखा, जिसमें उन्होंने कहा कि ताहिर ने बिना सामान और सेवाएं दिए इन कंपनियों के फर्जी बिल काटे थे. इसके साक्ष्य के रूप में ताहिर की एक डायरी ईडी के पास है, जिसमें लेनदेन का ब्योरा है और बैंकों से जुटाए खातों के विवरण और वाट्सएप चैट भी हैं. ताहिर के करीबी माने जाने वाले लोग इस मामले में गवाह हैं. वह बताते हैं कि ताहिर ने लोगों को प्रदर्शन के लिए रुपये दिए थे.
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