नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में 42 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. इस हिंसा ने कई बच्चों को अनाथ कर दिया. सालों से मेहनत कर बनाए गए लोगों के आशियाने उजाड़ दिए गए. लोगों की मेहनत की कमाई को आग लगा दी गई. इस हिंसा के बाद मजबूर लोगों की मदद के लिए दिल्ली सरकार ने हाथ बढ़ाए हैं. लोगों को नुकसान भरपाई और मुआवजा देने के लिए केजरीवाल सरकार ने अखबार में विज्ञापन दिए हैं. जिसमें एक सहायता फॉर्म का प्रारूप दिया गया है. इस फॉर्म पुनर्वास के लिए कुछ जरूरी जानकारियां मांगी गई हैं.
इस फॉर्म में परिवार के मुखिया या दावेदार का नाम, पिता का नाम, पता, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड की फोटोकॉपी, वोटर आईडी कार्ड की कॉपी, पते पर रहने वालों सभी लोगों का ब्योरा, मृतकों का ब्योरा, घायलों की स्थिति, व्यवसाय को हुए नुकसान, घर को हुए नुकसान से संबंधित जानकारियां मांगी गई हैं.
मुआवजे का राशि देने के लिए बैंक खाते की जानकारी भी मांगी गई है. इसके लिए पीड़ित को बैंक का नाम, अकाउंट नंबर,MICR कोड, IFSC कोड, कैंसिल चेक की फोटोकॉपी अटैच करने को कहा गया है. अगर यह सारी जानकारी उपलब्ध है. अंत में आपको दाहिने हाथ से अपने हस्ताक्षर करने हैं.
हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजे के रूप में 10-10 लाख रुपये देने की घोषणा
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजे के रूप में 10-10 लाख रुपये देने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि मृतक के परिवार को एक लाख रुपये की मदद तुरंत मुहैया कराई जाएगी, जबकि 9 लाख रुपये दस्तावेजों से पुष्टि होने के बाद दिए जाएंगे.
विकलांग हुए पीड़ितों को 5 लाख रुपये
केजरीवाल ने कहा, "हिंसा में विकलांग हुए पीड़ितों को 5 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को 2 लाख रुपये और मामूली रूप से जख्मी लोगों को 2 लाख रुपये और अनाथ हुए बच्चों को सरकार 3 लाख रुपये की मदद देगी."
'फरिश्ते योजना' के दायरे को बढ़ाने की भी घोषणा
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंसा में मरने वालों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की. उन्होंने इसके लिए 'फरिश्ते योजना' के दायरे को बढ़ाने की भी घोषणा की, जिससे हिंसा से प्रभावित कोई भी व्यक्ति निजी अस्पताल में मुफ्त इलाज का लाभ उठा सकेगा.
इन लोगों को भी मिलेगा मुआवजा
उन्होंने उन लोगों को भी सरकार की ओर से मदद देने की बात कही, जिन्हें हिंसा के दौरान अपनी संपत्ति का नुकसान उठाना पड़ा है. इसमें रिक्शा व ई-रिक्शा की क्षतिपूर्ति भी शामिल है. एक ऐप शुरू किया जाएगा, जिसकी मदद से प्रभावित मुआवजे का दावा दायर कर सकेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग अपने घरों को खो चुके हैं, उन्हें रैन बसेरों में भेजा जाएगा. जिन इलाकों में कर्फ्यू लगा है, वहां के लोगों को सरकार भोजन उपलब्ध कराएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि किरायेदारों को उनकी संपत्ति नष्ट होने के एवज में एक लाख रुपये और मकान मालिक को 4 लाख की मदद दी जाएगी.
जिन मकानों को हिंसा के दौरान आंशिक क्षति पहुंची है, उन्हें मदद के तौर पर दिल्ली सरकार 2 लाख 50 हजार रुपये देगी. घरों को पहुंची क्षति के मुआवजे के रूप में दिल्ली सरकार 25 हजार रुपये का तुरंत भुगतान करेगी. शेष राशि आवश्यक दस्तावेज पूरे होने पर दी जाएगी.
मुख्यमंत्री ने ऐसी दुकानों के मालिकों को भी राहत देने का ऐलान किया है, जिनका कोई इंश्योरेंस नहीं है. उनके मुताबिक, जिन दुकानों का इंश्योरेंस नहीं है, उन्हें 5 लाख रुपये तक का मुआवजा दिया जाएगा.
बच्चों को मिलेंगी मुफ्त किताबें और ड्रेस
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि हिंसा के दौरान कई स्कूलों को भी उपद्रवियों ने नुकसान पहुंचाया है. जिन छात्रों की किताबें या ड्रेस इन दंगों में जला दी गईं, उन्हें सरकार की ओर से मुफ्त किताबें और ड्रेस दी जाएगी. सरकार द्वारा यह मुआवजा सरकारी व प्राइवेट दोनों स्कूलों के छात्रों के लिए तय किया गया है.
हिंसा के दौरान कई घर व दुकान है ऐसी रहे जिन्हें उपद्रवियों ने जलाया और उनमें रखा सारा सामान जलकर खाक हो गया. ऐसी स्थिति में इन संपत्तियों के मालिकों के सरकारी दस्तावेज भी जलकर खाक हो गए हैं. दिल्ली सरकार ऐसे हिंसाग्रस्त व्यक्तियों के लिए राजस्व विभाग की मदद से हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में ही विशेष कैंप लगाएगी. इन कैंपों में बिना देरी किए जल चुके दस्तावेजों को नए सिरे से बनाकर संपत्ति मालिकों को सौंपा जाएगा.
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