नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी की सदस्य और जामिया की छात्रा सफूरा ज़रगर को जमानत दे दी है. कोर्ट ने यह जमानत इस साल फरवरी में हुई दिल्ली हिंसा से जुड़े एक मामले में दी. सफूरा प्रेग्नेंट हैं. कोर्ट ने सफूरा को 15 दिनों में कम से कम एक बार फोन के ज़रिए जांच अधिकारी के संपर्क में रहने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि वह किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल न हों, जिससे जांच में बाधा आए. साथ ही दिल्ली छोड़ने से पहले अनुमति लेनी होगी.
इससे पहले सोमवार को दिल्ली पुलिस ने जेल में बंद सफूरा जरगर की जमानत का विरोध किया. उसने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में उसे राष्ट्रीय सुरक्षा को संकट में डालने वाली और उथल मचा देने वाली बताया.
सफूरा जरगर के खिलाफ स्टेटस रिपोर्ट
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि छात्र कार्यकर्ता की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई थी. दिल्ली पुलिस का ये बयान अदालत के उस आदेश के बाद आया है जिसमें उसने जमानत याचिका पर पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी. जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर ने अदालत में जमानत की गुहार लगाई थी. दिल्ली पुलिस ने जमानत की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि जरगर उस बड़ी साजिश का हिस्सा थीं, जो न केवल अव्यवस्था का कारण बना बल्कि लोगों की मौत और नुकसान का भी कारण रहा.
सफूरा जरगर को 10 अप्रैल को पुलिस ने गिरफ्तार किया था
जामिया में एमफिल की छात्रा सफूरा जरगर को 10 अप्रैल को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को भड़काने के आरोप थे. पुलिस ने गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम के तहत उसे जेल में बंद कर किया है. निचली अदालत से जमानत अर्जी खारिज हो जाने के बाद सफूरा ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. गौरतलब है कि गर्भवती सफूरा जरगर की रिहाई के लिए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की तरफ से मांग की जा चुकी है.
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