नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन लगातार 5 दिनों से अस्पताल के चक्कर काट रहें हैं. कई परिवार वालों का कहना है कि देरी से शव मिलने की वजह से उनको अस्पताल के कई चक्कर काटने पड़ रहें हैं. इसी सबके बीच पिछले 5 दिनों से एक महिला वकील इन लोगों की मदद कर रही हैं. पेशे से वकील मुमताज किसी संघटन से नहीं जुड़ी हैं. वह अपने वकील होने का कर्तव्य निभा रहीं हैं. शवों की शिनाख्त कराने से लेकर उसे एम्बुलेंस में उसके अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाने तक सब मुमताज की मेहनत से हो रहा है.
मुमताज लगभग हर परिवार को समझाया रहीं हैं कि कहां से और कैसे उनको अपने परिजनों के शव मिल सकते हैं. मुमताज एलएलएम की स्टूडेंट हैं. अपने दो और साथियों के साथ पिछले कई दिनों से लोगों की मदद करने में जुटी हैं. जहां मृतकों के परिवार वाले शव लेने के लिए दर-दर भटक रहें वहीं मुमताज और उनकी टीम उनको सही राह दिखा रही है.
मुमताज का कहना है कि लोगों को इस लिए भी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है क्योंकि अस्पताल के शवगृह के पास कोई हेल्पडेस्क नहीं है. जिससे उनकी मदद हो सके. मुमताज़ ने बताया, "लोगों को नहीं पता कि उन्हें अपने परिजनों का शव लेने कहां जाना है. किससे मिलना है. किस तरह शिनाख्त हो रही है. सबसे मुश्किल बात ये है कि शवों की शिनाख्त करने के बाद उस पुलिस थाने में जाकर रिपोर्ट करना होता है जहां का मामला हो. कागजी कार्रवाई होती है." मुमताज और उनके साथी अपने ओर से इंसानियत के नाते लोगों की मदद करने के लिए खड़े हो गए हैं. वहीं मुआवजे की रखम कैसे मिलेगी? कैसे कागज भरने हैं ये सब मुमताज के दो और साथी कर रहें हैं.
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