नई दिल्ली: दिल्ली के चांदबाग इलाके में दंगे के दौरान शहीद होने वाले हेड कांस्टेबल रतनलाल सोमवार के दिन बुखार से पीड़ित थे. सोमवार की वजह से उनका व्रत भी था. उनकी पत्नी ने उन्हें ड्यूटी पर जाने से रोका था, लेकिन दिल्ली में चल रहे तनाव और उपद्रव के माहौल को देखते हुए रत्न लाल ने अपनी जिंदगी से ज्यादा कर्तव्य को प्राथमिकता दी.


दरअसल दिल्ली पुलिस महासंघ की तरफ से शहीद रतन लाल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए शहीदी पार्क में कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में रतनलाल के रिश्तेदार ने बताया कि रतन लाल ने अपनी पत्नी से कहा कि वह एसीपी गोकुलपुरी के साथ तैनात हैं और तनाव और हिंसा के माहौल में उन्हें अपने साहब के साथ रहना जरूरी है. इसी कर्तव्य को निभाते हुए रतनलाल शहीद हो गए.


जयपुर से आए रतनलाल के रिश्तेदारों ने बताया कि उन्हें यह दुखद समाचार उनकी बेटी यानी रतन लाल की पत्नी से मिला था. 24 फरवरी को हमारे पास फोन आया और बस इतना बताया गया कि रतनलाल को गोली लग गई है. इसके बाद हम तुरंत ही जयपुर से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. इस बीच हमें रतनलाल की शहादत का समाचार भी मिल चुका था.


रतनलाल के रिश्तेदार ने बताया कि उस दिन भी वह अपनी तबीयत खराब होने के बावजूद ड्यूटी पर गए थे. उनकी पत्नी ने उन्हें रोकने की काफी कोशिश की, लेकिन रतनलाल का इतना ही कहना था कि दिल्ली में माहौल ठीक नहीं है, ऐसे में पुलिस की काफी जरूरत है और मुझे अपनी ड्यूटी पर जाना पड़ेगा. शायद रतनलाल ने खुद भी नहीं सोचा होगा कि वह अब वापस लौट कर नहीं आएंगे. हमें केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के कर्मियों से काफी मदद मिली है और सभी ने हर संभव मदद करने का वादा किया है.


वहीं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने वाले दिल्ली पुलिस महासंघ के रिटायर्ड एसीपी वेद भूषण ने रतनलाल के हत्यारों को मौत की सजा देने की मांग की है. पुलिस पर पॉलिटिक्स ना करने और पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद देने की मांग की.


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