Delhi Violence: कहानी पीरवाली गली के मुहाफिज चायवाले सुरेश करदम की, मुस्लिम परिवारों के मकान को दंगाइयों से बचाया
दिल्ली के गोकलपुरी इलाके में हिंसा के बीच पीरवाली गली में रहने वाले सुरेश करदम ने मुस्लिम परिवारों के मकानों की हिफाजत कर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की है. सुरेश के साथ उनके दोस्त सुरेंद्र ने रात भर जागकर गली की हिफाजत की.
नई दिल्लीः दिल्ली हिंसा की भयावह तस्वीरों के बीच दिल को सुकून देने वाली एक कहानी पीरवाली गली की है. दिल्ली के गोकलपुरी इलाके में हिंसा की कई तस्वीरें सामने आईं. न जाने कितनी गलियां आगजनी और पत्थरबाजी की गवाही दे रही हैं. लेकिन गोकलपुरी की पीरवाली गली की तस्वीर बिल्कुल अलग है. इस गली में रहने वाले सुरेश करदम ने अपनी गली के मुस्लिम परिवारों के मकानों की हिफाजत उनके घर छोड़कर जाने के बाद भी की और दंगाइयों को गली में घुसने नहीं दिया.
गली के बाहर ही सुरेश करदम की चाय की दुकान है. इस गली में करीब 12 परिवार मुस्लिम हैं और तीन परिवार हिंदू समुदाय के हैं. गली में अंदर मकानों के बीच एक मजार है जिस वजह से इसका नाम पीरवाली गली पड़ा. हिंसा भड़कने पर गली के सभी मुस्लिम परिवार घर पर ताला लगाकर चले गए. घर छोड़कर जाने से पहले ये मुस्लिम परिवार घर की सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने पड़ोसी सुरेश करदम पर छोड़ गए. सुरेश करीब 30 साल से इस गली में रह रहे हैं.
पड़ोसियों के जाने के बाद सुरेश और उनके दोस्त श्याम सुंदर मेहता ने रात भर जाग-जाग कर इस गली की सुरक्षा की. दोनों दंगाइयों की नजरों से बचने के लिए गली के गेट पर एक ऑटो में छिपकर बैठेते थे. इनके पास बचाव के लिए कोई हथियार नहीं था, इसलिए ये हाथ में मिर्ची पाउडर के पैकेट रखते थे.
एबीपी न्यूज़ से सुरेश करदम ने कहा, ''दंगा करने वालों की साजिश हमारी गली में भी लूटपाट करने और मुस्लिम मकानों को नुकसान पहुंचाने की थी. लेकिन मैंने और श्याम सुंदर ने ऐसा नहीं होने दिया. दंगे भड़कने पर हमारे पड़ोसी घर बंद करके जा रहे थे. तब हमने कहा कि घर की सुरक्षा हम करेंगे. अब जब हालात सुधर रहे हैं तो उनको फोन करके जानकारी दी जा रही है.''
पीरवाली गली के ज़्यादातर मुस्लिम समुदाय वाले घरों में अभी भी ताले लगे हुए हैं. हालांकि सुरेश करदम से सूचना मिलने के बाद कुछ लोग खैरियत लेने वापस भी आने लगे हैं. इन्हीं में से एक रियाज हैं. रियाज का कहना है, ''सुरेश करदम और बाकी हिन्दू साथियों ने उन लोगों के घरों की रक्षा की है और ये एहसान वो कभी नहीं भूलेंगे. परिवार को अभी वापस लाने में डर लग रहा है लेकिन घर सुरक्षित है इस बात की संतुष्टि है.'' दिल्ली के दंगों ने शहर को झकझोर कर रख दिया है. हालांकि दिल्लीवालों के भाईचारे की ऐसी कहानियों ने इंसानियत में लोगों का विश्वास बनाए रखा है.