नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा है कि वह दिल्ली में हुए दंगों से पहले भड़काऊ बयान देने वाले लोगों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई में तेजी लाए. हाई कोर्ट अब शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करेगा. उधर इस तरह के बयान की शिकायत करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर खुद आज अपने एक बयान पर फंसते हुए नजर आए. कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए उनसे जवाब मांग लिया है.


सुप्रीम कोर्ट में आज हर्ष मंदर और 10 दंगा पीड़ितों की याचिका सुनवाई के लिए लगी थी. इन लोगों ने बीजेपी नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. उनका यह भी कहना था कि हाई कोर्ट ने उनकी मांग पर जवाब देने के लिए दिल्ली पुलिस को लंबा समय दे दिया है. सुनवाई अप्रैल तक के लिए टाल दी है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट मामले पर सुनवाई करे.


जनरल तुषार मेहता ने हर्ष मंदर का एक बयान कोर्ट के सामने रखा


चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच में सुनवाई शुरू होने से पहले ही दिल्ली पुलिस के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हर्ष मंदर का एक बयान कोर्ट के सामने रख दिया. इस बयान में हर्ष मंदर CAA विरोधियों से यह कह रहे हैं कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट और संसद पर भरोसा नहीं करना चाहिए. इंसाफ सड़क पर आने से ही मिलेगा. सॉलिसिटर जनरल का कहना था कि यहां याचिका करने वाला व्यक्ति खुद लोगों को भड़का रहा है. जो न्यायपालिका के बारे में ऐसी सोच रखता हो, उसकी याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए.


इस पर चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा, “हम आज हर्ष मंदर के वकील की बात नहीं सुनेंगे. लेकिन दंगा पीड़ितों के वकील अपनी बात रख सकते हैं.“ इसके बाद दंगा पीड़ितों के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने अपनी बात शुरू की. उन्होंने कहा, “अनुराग ठाकुर जैसे नेताओं ने गद्दारों को गोली मारो वाला नारा लगाया. जनवरी में ही उनके गिरफ्तारी हो गई होती तो दिल्ली में हिंसा नहीं भड़कती.“


सॉलिसिटर जनरल ने इस पर दखल देते हुए कहा, “कॉलिन गोंजाल्विस दिल्ली हाई कोर्ट में हर्ष मंदर के वकील है. यहां उन्होंने दूसरे लोगों के नाम पर वही याचिका दाखिल कर दी है. कोर्ट को इनकी बात भी नहीं सुनी चाहिए. वैसे भी हर्ष मंदर जैसे लोग सिर्फ एक तबके के नेताओं के किसी गिरफ्तारी चाहते हैं. हम जिम्मेदारी से काम ले रहे हैं. शांति बहाली पर जोर दे रहे हैं. सभी पक्षों के बयानों को सुना जाएगा और बाद में जरूर कार्रवाई की जाएगी.“


इस पर गोंजाल्विस ने एक बार फिर बीजेपी नेताओं की तुरंत गिरफ्तारी की मांग उठाई. चीफ जस्टिस ने उन्हें रोकते हुए कहा, “आप कह रहे हैं कि नेताओं की तुरंत गिरफ्तारी कर ली जाती तो हिंसा नहीं भड़कती. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि नेताओं की गिरफ्तारी के बाद ही हिंसा भड़कती है. 1993 में मुंबई में शाखा प्रमुखों की गिरफ्तारी हुई जिसके बाद दंगा हुआ. कई बार पुलिस प्रशासन हालात के हिसाब से फैसले लेता है.“


सॉलिसिटर जनरल ने एक बार फिर हर्ष मंदर पर हमला बोलते हुए कहा, “यह जिस तबके की नुमाइंदगी करते हैं, वह स्वास्तिक जैसे पवित्र धार्मिक प्रतीक का अपमान करता है. यह लोग खुद भीड़ को भड़काते हैं. बाद में सिर्फ एक पक्ष के खिलाफ याचिका दाखिल कर देते हैं.“


सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों से पहले भड़काऊ बयान देने वाले लोगों का मामला हाई कोर्ट को वापस भेजा


चीफ जस्टिस ने उन्हें रोकते हुए कहा, “जिस मामले को हाई कोर्ट अभी देख रहा है, हम उस पर कोई आदेश नहीं देना चाहते हैं. लेकिन इनका कहना है कि हाई कोर्ट को सुनवाई अप्रैल तक नहीं टालनी चाहिए थी. हमें भी यह लगता है कि इस तरह के मामलों में अगली सुनवाई के लिए इतने लंबी तारीख देना सही नहीं था. इसलिए हम मामले को वापस दिल्ली हाई कोर्ट भेज रहे हैं. हाई कोर्ट शुक्रवार को इस मामले से जुड़े सभी याचिकाओं की सुनवाई करे. जितनी तेजी से संभव हो उनका निपटारा करे.“


गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट में बीजेपी नेताओं के खिलाफ हर्ष मंदर की याचिका के बाद वारिस पठान, स्वरा भास्कर समेत कई नेताओं और कलाकारों के बयानों की शिकायत करते हुए याचिकाएं दाखिल हुई हैं. उनकी भी सुनवाई हाई कोर्ट ने अप्रैल महीने के लिए रखी थी. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी याचिकाएं शुक्रवार को सुनवाई के लिए लगाई जाएंगी.


सॉलिसिटर जनरल ने आशंका जताई कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट के सामने इस तरह से रखेंगे जैसे मामले का निपटारा शुक्रवार को ही करने के लिए कहा गया हो. वकील वहां पर इसका दबाव बनाएंगे. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “हाई कोर्ट तेजी से मामले को देखेगा. हमने सिर्फ यही कहा है. हम इससे आगे कुछ नहीं कह रहे.“


सुनवाई खत्म होने से पहले हर्ष मंदर की तरफ से पेश वकील करुणा करुणा नंदी ने कहा कि मंदर अभी अमेरिका में हैं. इसलिए उनके खिलाफ सॉलिसिटर जनरल के आरोप पर अभी सुनवाई न की जाए. लेकिन कोर्ट ने इससे मना कर दिया. कोर्ट ने कहा, “जो बातें सॉलिसिटर जनरल बता रहे हैं, हमने उन्हें उस पर लिखित हलफनामा देने को कहा है. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में इसी शुक्रवार को की जाएगी. आप सरकार के हलफनामे पर अपना जवाब दे सकते हैं.“


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