नई दिल्ली: क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक ताहिर हुसैन की सीडीआर से जानकारी मिली है कि 24 फरवरी से 27 फरवरी तक उसके मोबाइल की लोकशन मुस्तफाबाद थी. मुस्तफाबाद के चांद बाग में ही ताहिर का घर है. उसने क्राइम ब्रांच को बताया है कि दंगों के दौरान वो बिल्डिंग के आसपास ही किसी गली में रहा. पुलिस इस बात पर ही शक कर रही है कि अगर इलाके में दंगा हुआ और अगर पुलिस ने रेस्क्यू किया जैसा वो दावा कर रहा है तो फिर वो दंगे प्रभावित इलाकों में इतने दिन क्यों रहा.


सूत्रों के मुताबिक 27 फरवरी के बाद उसकी लोकेशन दिल्ली के जाकिर नगर में मिली थी. उसके बाद फोन बंद हो गया था. दंगों के ठीक बाद ताहिर ने अपना पुराना सिम ऑन किया था और उस से कई लोगों से बात की, जिसमें आम आदमी पार्टी के एक नेता और कुछ वकील थे.


आईबी कर्मचारी अंकित की हत्या के बारे में पूछने पर वो साफ मना कर रहा है कि उसे कुछ नहीं पता है. पुलिस के मुताबिक ताहिर के पास दो फोन हैं जो अभी तक बरामद नहीं हुए हैं. जब उसे गिरफ्तार किया गया तब उसके पास कोई मोबाइल नहीं था.


एसआईटी सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में ताहिर हुसैन बार-बार अपने आप को पीड़ित बता रहा है. ताहिर का कहना है कि दंगाइयों ने उसके चांद बाग के घर पर 24 फरवरी को हमला कर दिया था. उस दिन उसने तीन बार पुलिस को फोन किया था. पहली कॉल दोपहर 2:52 बजे, दूसरी 3:11 बजे और तीसरी 3:54 बजे की थी.


25 फरवरी को सुबह आठ बजे एक बार फिर घर गया था, लेकिन वहां मौजूद पुलिस के कहने पर वापस चला गया था और पूरे दिन मुस्तफाबाद में अपने दोस्त के घर रहा. ताहिर पुलिस को कह रहा है कि उसके घर में पत्थर, गुलेल और एसिड कहां से आए इसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है. सूत्रों के मुताबिक ताहिर वकीलों की पढ़ाई बातें उसी तरीके से बोल रहा है.


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