दिल्ली में बीते 30 सालों की सबसे बड़ी हिंसा, 1990 के बाद राजधानी में सबसे अधिक 7 लोगों की मौत, 70 जख्मी
उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. दिल्ली में इतनी बड़ी हिंसा लगभग तीस साल बाद हुई है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सीएए समर्थकों और सीएए विरोधियों के बीच हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर सात हो गई है. इस हिंसा में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल भी शहीद हो गए हैं. हिंसा में लगभग 70 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में आज सुबह भी हिंसा व पत्थरबाजी की कई छिटपुट वारदातें होती रही. मौजपुर, बाबरपुर, जाफराबाद, गोकुलपुरी, बृजपुरी समेत कई इलाकों में पुलिस व रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की तैनाती की गई है. इसके बाद भी कई इलाकों में आपसी भिड़ंत व एक दूसरे पर पत्थरबाजी की घटनाएं अभी भी हो रही हैं. दिल्ली में इतनी बड़ी हिंसा लगभग तीस साल बाद हुई है.
दिल्ली में हिंसा की बड़ी घटनाएं-
1984- दिल्ली में सिख विरोधी दंगे हुए.
1984 में क्या हुआ था?
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके बॉडीगार्ड्स ने हत्या कर दी थी. इंदिरा गांधी के दोनों बॉडीगार्ड्स सिख थे. इसके बाद दिल्ली समेत कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे. दिल्ली में सबसे भयानक दंगे हुए और इसमें करीब तीन हजार लोग मारे गए थे.
नवंबर 1990- दिल्ली के सदर बाजार के ईदगाह पार्क में साम्प्रदायिक हिंसा, 8 लोगों की मौत, 32 लोग घायल, 42 गाड़ियां जलाई गई.
1990-91- दिल्ली में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद आरक्षण विरोधी प्रदर्शन का केंद्र दिल्ली रहा. दिल्ली में कई जगह आगजनी और हिंसा हुई.
1992- दिल्ली के सीलमपुर में साम्प्रदायिक हिंसा, लगभग 20 लोगों की मौत, ज्यादातर लोगों की जलने से मौत.
2014- दिल्ली के त्रिलोकपुरी में हुए मामूली विवाद ने दंगे का रूप ले लिया. किसी की मौत नहीं, 70 से ज्यादा लोग घायल, कई लोगों को गोली लगने से घायल हुए.
यह भी पढ़ें-
इस देश की मॉडल रही हैं मेलानिया, जानिए- कैसे हुआ ट्रंप से प्यार, और अब हैं फर्स्ट लेडी