नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों के विवाद पर अपना फैसला सुना दिया है. अब इस फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फैसले पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि इस फैसले से दिल्ली के साथ अन्याय हुआ है.
केजरीवाल ने कहा, ''दिल्ली का मुख्यमंत्री एक चपरासी को भी ट्रांसफर नहीं कर सकता. यह दिल्ली के लोगों के विश्वास के खिलाफ अन्याय है और बहुत ही गलत फैसला है.' उन्होंने आगे कहा कि अगर हमारे पास किसी की भ्रष्टाचार की शिकायत आती है तो अगर एसीबी हमारे पास नहीं है तो हम क्या कार्रवाई करेंगे.
इसके अलावा केजरीवाल ने लोगों से इस बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए नहीं बल्कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए वोट करने की अपील की. उन्होंने कहा, ''इस बार आप प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट मत देना.दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. यहां के लोगों को अधिकार मिलना चाहिए. आप दिल्ली की सातों सीटें आम आदमी पार्टी को दीजिए. हम संसद में लड़कर बाध्य करेंगे कि दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाया जाए.''
केजरीवाल पर बीजेपी का पलवार
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने केजरीवाल पर पलटवार किया. उनके बयान को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करार देते हुए उनपर हमला बोला. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा,'' केजरीवाल सत्ता पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पर सवाल उठा सकते हैं. केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी चाहिए, कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया.'' संबित पात्रा ने आगे कहा कि केजरीवाल ने SC के खिलाफ जंग छेड़ी है और वह जनता को भड़का रहें हैं. हम केजरीवाल के खिलाफ याचिका पर विचार कर रहे हैं.
क्या है मामला
दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच विवाद की मुख्य की जड़ अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग का ही मामला है. दिल्ली हाई कोर्ट से जगड़े के बाद केजरीवाल सरकार को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें इस मामले पर राहत मिल सकती है. लेकिन पूरे फैसले में इसी मुद्दे पर दोनों जजों में मतभेद हो गया और मामले को बड़ी बेंच में भेजने की बात कही. अरविंद केजरीवाल के नजरिए से उनके हाथ में कुछ नहीं आया है.
दरअसल आज सर्विसेस यानी अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दो जजों जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण के फैसले में मतभेद के चलते मामले को तीन जजों की बेंच के पास भेज दिया गया है. यानी आज के फैसले में ना तो दिल्ली सरकार की जीत हुई है और ना ही केंद्र सरकार की हार हुई है.