Delhi Weather: दिल्ली में अगस्त में अब तक 54% कम बारिश दर्ज हुई, 19 अगस्त तक बारिश के आसार नहीं- IMD
IMD की रिकॉर्डिंग से पता चलता है कि जुलाई महीने में तकरीबन 507.1 मिमी बारिश हुई जोकि महीने के औसत 210.6 मिमी से दोगुने से ज्यादा थी. वहीं अगस्त का महीना शुरू होते ही बारिश की रफ्तार पर ब्रेक लग गया
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जुलाई में औसत से ज्यादा बारिश का अनुभव करने वाली राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली अगस्त का आधा महीना बीत जाने के बाद भी रिमझिम बारिश की बाट ही जोह रही है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की रिकॉर्डिंग से पता चलता है कि दिल्ली में अगस्त के महीने में अब तक लगभग 54% बारिश की कमी दर्ज की गई है. हालांकि मौसम विभाग के अधिकारियों और निजी मौसम पूर्वानुमानकर्ताओं के मुताबिक महीने की शुष्क शुरुआत के बावजूद, अगस्त में आने वाले 10 दिनों में बारिश की कमी को कवर करने की संभावना है और इस कारण यह "सामान्य के करीब" मानसून महीना होने की संभावना है.
IMD की रिकॉर्डिंग से पता चलता है कि जुलाई महीने में तकरीबन 507.1 मिमी बारिश हुई जोकि महीने के औसत 210.6 मिमी से दोगुने से ज्यादा थी. वहीं अगस्त का महीना शुरू होते ही बारिश की रफ्तार पर ब्रेक लग गया. 13 अगस्त तक सफदरजंग मौसम केंद्र में 63.2 मिमी बारिश दर्ज की गई जो 116.1 मिमी के करीब है, जो महीने के लिए नॉर्मल है.
दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बारिश में कमी दर्ज की गई
एनालिसिस से आगे पता चलता है कि साउथ दिल्ली में 49% बारिश की कमी दर्ज की गई. वहीं दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में 46% की कमी रही और नई दिल्ली में 33% कम बारिश हुई है. उत्तर पश्चिमी दिल्ली में भी 20% बारिश की कमी दर्ज की गई. वहीं पश्चिमी दिल्ली में 80% कम बारिश हुई और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भी 80% बारिश की कमी दर्ज की गई है. हालांकि यह आंशिक रूप से 'ब्रेक मानसून' फेज के कारण है जो फिलहाल उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में सक्रिय है, मौसम विशेषज्ञों ने कहा कि राजधानी के ब्रेक फेज में जाने से पहले भी केवल तीन दिन बारिश हुई थी. इन तीन दिनों में भी, शहर में केवल हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई.
क्या होता है ब्रेक मानसून?
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रेक मानसून दक्षिण-पश्चिम मानसून का एक टिपिकल फेज है. ये पॉज कुछ दिनों या एक पखवाड़े तक भी चल सकता है. ब्रेक मानसून को ट्रफ के उत्तर की ओर खिसकने और हिमालय की तलहटी के करीब आने के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. गौरतलब है कि उत्तर, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में जब बारिश कम दर्ज की जाती है तो इस मौसमी घटना के परिणामस्वरूप हिमालय की तलहटी में, पूर्वोत्तर भारत में और दक्षिणी प्रायद्वीप में बारिश ज्यादा होती है.
दिल्ली 19 अगस्त के बाद ‘ब्रेक मानसून’ फेज से आ सकती है बाहर
बता दें कि दिल्ली और पड़ोसी राज्यों ने 9 अगस्त को एक ब्रेक मानसून फेज में एंटर किया था. प्रारंभिक पूर्वानुमान के अनुसार यह ठहराव 16 अगस्त तक जारी रहने की संभावना थी. हालांकि, हाल के पूर्वानुमान में, मौसम अधिकारियों ने कहा है कि 19 अगस्त के बाद दिल्ली के इस ब्रेक फेज से बाहर आने की संभावना है. आईएमडी के रीजनल मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, "19 अगस्त तक बारिश की कोई संभावना नहीं है. 19 अगस्त और 20 अगस्त के आसपास केवल हल्की बारिश के साथ मानसून के फिर से शुरू होने की उम्मीद है.”
19 अगस्त के बाद तेज बारिश की संभावना
अगस्त का आधा महीना बारिश के इंतजार में ही निकल गया है वहीं, पूर्वानुमानकर्ताओं को अभी भी उम्मीद है कि अगस्त महीने में बारिश की इस कमी को कवर करने की संभावना है. स्काईमेट वेदर सर्विसेज, एक निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने कहा कि, “मानसून की ट्रफ 15 अगस्त के बाद दक्षिण की ओर बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप पंजाब और हरियाणा के आसपास बारिश होगी. हालांकि दिल्ली में हल्की बारिश हो सकती है, लेकिन इस क्षेत्र में लगातार बारिश होने में अभी कुछ दिन और लगेंगे. वहीं पूर्वानुमान कहता है कि 19 अगस्त के बाद बारिश तेज हो जाएगी और हम लगभग नॉर्मल मानसून माह प्राप्त कर सकते हैं. ”
दिल्ली पिछले कुछ सालों से अनिश्चित मौसम पैटर्न को कर रही रिकॉर्ड
वहीं मौसम अधिकारियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह अनिश्चित मौसम पैटर्न का एक और उदाहरण है जिसे दिल्ली पिछले कुछ वर्षों से रिकॉर्ड कर रही है. विशेषज्ञों ने कहा कि इस साल इस तरह के चरम मौसम की घटनाएं विशेष रूप से परेशान करने वाली थीं और यह जलवायु परिवर्तन का बड़ा प्रभाव हो सकता है.
मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि, “यह सच है कि पूरे देश में बारिश का पैटर्न बदल रहा है. लगभग 10 साल पहले दिल्ली में औसतन 15-20 बारिश के दिन हुआ करते थे, लेकिन अब हम देख रहे हैं कि बारिश के दिनों की संख्या घटकर केवल आठ से दस रह गई है. इसका मतलब है कि बारिश कम समय के लिए हो रही है. इसके साथ ही नेचुरल है कि अगर एक सप्ताह में उतनी ही बारिश होती है जितनी महीने में समान रूप से वितरित होने के विपरीत होती है, तो इससे बाढ़ की घटनाएं हो सकती हैं.”
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