नई दिल्ली: लालबाबू की पत्नी कि मृत्यु कोरोना वायरस से नहीं हुई. इसे प्रमाणित करने के लिए वो रिपोर्ट काफी है जिसमें महिला कॉविड 19 टेस्ट के बाद निगेटिव पाई गई. लेकिन परिवार का आरोप है कि आरएमएल अस्पताल की नजरअंदाजी और ढीले रवैए के कारण महिला कि जान चली गई. पति लालबाबू एबीपी न्यूज को बताया कि " मैं और मेरा बेटा घंटों तक एम्बुलेंस को बुलाते रहे लेकिन एम्बुलेंस को आने में 8 घंटे लग गए."


महिला जाहिदा खातून का 7 साल से आरएमएल अस्पताल में किडनी का इलाज चल रहा था. डायलासिस की जरूरत पड़ने पर परिवार ने एम्बुलेंस को बुलाया था, करीब 8 घंटे बाद एम्बुलेंस पहुंची लेकिन इसके बाद अस्पताल द्वारा महिला को भर्ती करने से मना कर दिया गया. अस्पताल ने पहले मरीज़ का कोरोनावायरस टेस्ट कराने को कहा "मुझे बोला गया कि पहले कोरोना वायरस की जांच करा कर आइए. मैंने डॉक्टरों को बताया कि 15 तारिख को जांच हो चुकी है ,लेकिन अभी रिपोर्ट नहीं आई है.



लालबाबू ने बताया कि, ''आरएमएल अस्पताल ने मेरी पत्नी को एडमिट करने से मना कर दिया. किसी डॉक्टर ने मेरी पत्नी को हाथ तक नहीं लगाया. डॉक्टर ने दूरी बनाए रखी और बोला महिला को घर ले जाओ."


आरएमएल अस्पताल के इमरजेंसी गेट के सामने रविवार सुबह को महिला ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया. इस मामले पर जनहित याचिका डालने वाले एनजीओ ''नई सोच'' ने हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया , कोर्ट ने आरएमएल अस्पताल को जल्द से जल्द समाधान ढूंढने के लिए आदेश दिए . लालबाबू और परिवार को जल्द से जल्द उनकी पत्नी का शव सौंपने के लिए भी कहा गया.लिहाज़ा परिवार को महिला का शव 4 दिन बाद मिल सका है.


राम मनोहर लोहिया अस्पताल से जब हमने उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कोई भी औपचारिक प्रतिक्रिया इस मामले पर देने से मना कर दिया.


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