नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली के सियासी गलियारे में इन दिनों एक सवाल सबसे अहम बन गया है. सवाल ये है कि क्या दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन होगा? दरअसल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के कयास उस समय से लगने शुरू हो गए जब शुक्रवार को जब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से सिर्फ पांच सीटों पर ही प्रभारी घोषित किए. इनमें पंकज गुप्ता को चांदनी चौक, दिलीप पांडे को उत्तर-पूर्वी दिल्ली, राघव चड्ढा को दक्षिण दिल्ली, आतिशी मर्लिना को पूर्वी दिल्ली सीट से और गुगन सिंह को उत्तर-पश्चिमी सीट से प्रभारी बनाया गया.
आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर प्रभारी घोषित नहीं किए गए. आप के इस एलान के बाद सवाल उठा कि आखिर यह दो सीटें किसके लिए छोड़ी गईं? इन्हीं सवालों के बीच आम आदमी पार्टी नेता दिलीप पांडेय के ट्वीट ने भी इन कयासों को और हवा दे दी. दिलीप पांडे ने ट्वीट में कहा कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता 'आम आदमी पार्टी' के संपर्क में हैं और वे हरियाणा, दिल्ली और पंजाब में हमारा साथ और सहयोग चाहते हैं और दिल्ली में हमसे वे एक सीट मांग रहें हैं."
अजय माकन ने कयासों को नकारा
हालांकि इस बीच दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच किसी भी तरह के संभावित गठबंधन की खबरों को पूरी तरह खारिज किया है. अजय माकन ने आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं पर हमला करते हुए कहा कि ये वहीं लोग हैं जिन्होंने अन्ना आंदोलन के दौरान और उसके बाद में भी कांग्रेस के ऊपर लगातार हमले किए. वह भी बिना किसी ठोस आधार के और उन्होंने ही मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में मदद की तो ऐसे लोगों के साथ गठबंधन क्यों किया जाएगा!
कौन हाथ में थमा रहा है झाडू?
इस बीच कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आम आदमी पार्टी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मदद से कांग्रेस के कुछ नेताओं से संपर्क कर बातचीत की कोशिश की है. इस बातचीत का मकसद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन था. अभी तक इस गठबंधन को लेकर बात कुछ खास आगे तो नहीं बढ़ी है लेकिन दो लोकसभा सीटों पर प्रभारियों का नाम न घोषित कर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को गठबंधन का इशारा किया है.
क्या है पिछले चुनाव की गणित?
गौरतलब है कि साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था. हालांकि उसके एक साल बाद ही हुए विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 विधानसभा सीटें आम आदमी पार्टी ने हासिल की. लेकिन आम आदमी पार्टी की हालत पिछले साल हुए चुनावों में पहले के मुकाबले काफी कमजोर नजर आई. इन चुनावों में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर गिरा और इसी के चलते हैं तीनों नगर निगमों पर बीजेपी ने कब्जा किया. वहीं कांग्रेस ने भी अपना वोट बैंक वापस हासिल किया. अब सवाल वही है कि जिस अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीति की शुरूआत ही कांग्रेस पर निशाने पर लेते हुए कि क्या वह सत्ता के लिए उसी कांग्रेस का हाथ थामेंगे?
आम आदमी पार्टी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन के कयासों को खारिज करते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी कई बार अमर्यादित शब्द का इस्तेमाल किया. अजय माकन ने प्रधानमंत्री को लेकर कई बार 'राक्षस' शब्द का इस्तेमाल किया. अजय माकन ने कहा कि "अरविंद केजरीवाल ने मोदी नाम के राक्षस को खड़ा किया है."