नई दिल्लीः नागरिकता संशोधन कानून राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद देश में लागू हो गया है. राजधानी दिल्ली से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक इस बिल के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ होने वाला विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. नतीजन दिल्ली वालों को अपने गंतव्य पर पहुंचने के लिए डबल किराया देना पड़ रहा है.


गुरूवार को भी लगातार जारी विरोध प्रदर्शन के बीच आटो रिक्शा चालकों ने अपना किराया बढ़ा दिया वहीं कैब चालक लुटियन क्षेत्रों में जाने से इंकार करते नजर आ रहे हैं.


दरअसल, दिल्ली में बढ़ते विरोध प्रदर्शन के कारण तकरीबन 20 मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया था और इस कारण लोगों को अपने दफ्तर से लेकर एक स्थान से दूसरे स्थानों तक जाने के लिए मुसीबतों का सामना करना पड़ा. एक तरफ जहां आटोरिक्शा चालकों ने सामान्य से दोगुना किराया बढ़ाया वहीं कैब चालकों ने दिल्ली के मुख्य इलाकों, जहां प्रदर्शन हो रहा है वहां जाने से साफ इंकार कर दिया.


एक मीडियाकर्मी ने बताया कि आर के आश्रम मार्ग से संसद मार्ग आने के लिए नियमित किराया 40 रुपये है लेकिन उन्हें आज 100 रुपये देने पड़े. गौरतलब है कि इस बीच के मेट्रो स्टेशन बंद हैं.


वहीं एक अन्य यात्री ने बताया कि कैब चालकों ने संसद मार्ग या उसके आसपास के इलाकों में जाने से मना कर दिया है. कुछ लोगों को लुटियन दिल्ली में स्थित अपने ऑफिस आने के लिए दोगुना किराया देना पड़ा. मयूर विहार से जहां आम तौर पर 130 रुपये लगते हैं वहीं लोगों को संसद मार्ग तक आने के लिए 200 से अधिक रुपये चुकाने पड़े.


क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
इस कानून के लागू होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी यानी हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. मतलब 31 दिसंबर 2014 के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी.