नई दिल्ली: सर्दी के साथ राजधानी दिल्ली और उसके आस पास के इलाकों में प्रदूषण ने दस्तक दे दी है. प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण हरियाणा और पंजाब में किसानों की तरफ से पराली जलाने के माना जा रहा है. पराली का असर ये हुआ है कि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता बदतर श्रेणी से निकलकर खराब श्रेणी में आ गई है.


दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एआईक्यू) रविवार को 266 रहा. हालांकि इस बार प्रदूषण स्तर उतना बुरा नहीं है, जितना पिछले कुछ सालों के दौरान रहा है. मौसम अनुमान एजेंसी सफर (सिस्टम ऑफ एयर क्लालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च) इंडिया के मुताबिक, दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में है और हरियाणा और पंजाब में बड़े पैमाने पर जलाई जाने वाली पराली का असर दिल्ली के एआईक्यू पर जल्द असर दिखा सकता है. खराब श्रेणी में पीएम 2.5 कण की संख्या 110 है, वहीं पीएम 10 की संख्या 201 पर स्थिर है.


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सफर के मुताबिक, पीएम 2.5 की कुल गणना में बाहरी बायोमास जलाए जाने की हिस्सेदारी फिलहाल लगभग दो प्रतिशत है. बुलेटिन में कहा गया है कि हवा की स्पीड लगातार कमजोर हो रही है और वह ज्यादातर पश्चिम से बह रही है. अनुमान में कहा गया है, "इन स्थितियों में सोमवार तक वायु की गुणवत्ता खराब श्रेणी के मध्य तक पहुंच सकती है. इसके बाद एक्यूआई में अगली गिरावट 14 अक्टूबर तक हो सकती है, लेकिन यह खराब श्रेणी के अंदर ही रहेगी."


सफर ने हालांकि कहा है कि वायु गुणवत्ता फिर भी पिछले कुछ सालों की तुलना में इस अवधि के दौरान काफी बेहतर है और यह खासतौर से इसलिए है कि दिल्ली के चारों ओर के इलाकों में पर्याप्त नमी है और तापमान भी अपेक्षाकृत गरम है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी ने आगामी जाड़े के मौसम के दौरान दिल्ली एनसीआर के लिए कार्ययोजना पर चर्चा के लिए हाल ही में उद्योगों के साथ बैठक की थी.


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