नई दिल्ली: दिल्ली के बुराड़ी में एक परिवार के 11 लोगों की मौत मामले में पुलिस ने तांत्रिक थ्योरी से इनकार किया है. घर में मिली डायरी, पाइप आदि के आधार पर यह दावा किया जा रहा था कि 11 लोगों की मौत में धर्म का एंगल है और तांत्रिक ने सभी की मौत में भूमिका निभाई है. पुलिस के मुताबिक, मौत में तांत्रिक की भूमिका नहीं है.


वहीं 11 में से छह लोगों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मौत किसी भी जहर या नशीले पदार्थ से नहीं हुई है. सभी की मौत फांसी के फंदे से झुलने से हुई है. अब दिल्ली पुलिस विसरा को एफएसएल जांच के लिए भेजेगी. साथ ही पुलिस ने घर से बरामद किये गये रजिस्टर की हैंड राइटिंग की जांच भी करवाएगी.


एक जुलाई को बुराड़ी में एक घर में एक साथ 11 लोगों की लाश मिलने के बाद सनसनी फैल गई थी. पुलिस ने जांच के दौरान एक रजिस्टर बरामद किया था. जिसमें मोक्ष की प्राप्ति जैसे शब्दों का जिक्र था. एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "रजिस्टर में लिखित बातों के अनुसार, ललित अपने मृत पिता की आत्मा के बस में था. यह एक प्रकार का मानसिक विकार है. हमने मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ से भी मदद ली. हम इस नतीजे पर पहुंचे कि यह साझा मनोवैज्ञानिक विकार का मामला है, जिसके अंतर्गत धार्मिक अनुष्ठान एक सामूहिक आत्महत्या का कारण बना."


पुलिस पूरे मामले की धार्मिक एंगल से भी जांच कर रही है. पुलिस अब तक 11 पाइप लगाने वाले परिवार, आसपास के लोग, परिजनों और तांत्रिक से पूछताछ कर चुकी है. हालांकि पुलिस को अब तक कोई अहम सुराग नहीं मिले हैं.


दिल्ली पुलिस इस केस में साइकोलॉजिकल अटॉप्सी यानी मनोवैज्ञानिक पोस्टमॉर्टम भी करवा सकती है. भारत में इस तरह की वैज्ञानिक जांच बहुत कम मामलों में की गई है. साइकोलॉजिकल अटॉप्सी आत्महत्या के मामलों में किया जाता है. इस तरह की फारेंसिक जांच के पीछे जांचकर्ताओं का मकसद आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के दिमाग के अन्दर के तथ्यों का पता लगाना होता है.


दिल्ली: 11 मौतों के बाद बुराड़ी में खौफ का आलम, गली से गुजरने में भी डर रहे हैं लोग