नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने के बाद अब इसके डेल्टा प्लस वेरिएंट का खतरा बढ़ता जा रहा है. डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले सिर्फ तीन राज्यों केरल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में ही सीमित नहीं हैं. बल्कि 8 राज्यों में ये वेरिएंट मिल चुका है. लेकिन इस खतरे के बावजूद लोग मास्क पहनने को लापरवाह नजर आ रहे हैं. एक सर्वे में दावा किया गया है कि भारत में मास्क पहने के नियम का अनुपालन करने वालों की संख्या कम है. हर तीन में से दो लोग मास्क को लेकर लापरवाह हैं


ऑनलाइन सोशल मीडिया मंच 'लोकल सर्किल' के सर्वेक्षण के मुताबिक टीकाकरण केंद्रों पर भी मास्क पहनने के नियम का बहुत कम अनुपालन किया जा रहा है. सर्वे के मुताबिक, 'दुनिया के किसी देश के मुकाबले भारत में बेहद घातक रही कोविड महामारी की दूसरी लहर के बावजूद सर्वेक्षण में शामिल 67 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि उनके क्षेत्र, जिले या शहर में लोग मास्क का सीमित या बिल्कुल इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.'


312 जिलों के 33 हजार प्रतिभागी सर्वे में हुए शामिल
इस सर्वेक्षण में देश के 312 जिलों के करीब 33 हजार प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. केवल 32 फीसदी प्रतिभागियों ने माना किया हाल में जब वे टीककरण केंद्र पर गए तो सीमित संख्या में मास्क के नियम का अनुपालन किया जा रहा था. कई प्रतिभागियों ने बताया कि उनके परिवार के सदस्यों को केंद्र पर टीकाकरण कराने के कुछ दिनों के बाद कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ जो दिखाता है कि कुछ टीकाकरण केंद्रों पर सुपरस्प्रेडर (अधिक संख्या में संक्रमित करने वाला) की आशंका है जहां पर लोग मास्क पहनने के नियम का अनुपालन नहीं करते.


सर्वेक्षण में कहा गया कि यह बड़ी चिंता है और तुरंत यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है कि ये टीकाकरण केंद्र सुपरस्प्रेडर न बन जाए. केवल 44 फीसदी भारतीय कपड़े का मास्क पहनते हैं जो संभवत अत्याधिक संक्रामक वायरस के प्रकार डेल्टा से सुरक्षा नहीं कर सके. वहीं, संक्रमण वाले जिलों में सरकार द्वारा घर से बाहर मास्क को अनिवार्य करने के संभावित फैसले का 91 फीसदी प्रतिभागियों ने समर्थन किया जबकि आठ फीसदी विरोध में रहे.