दुनियाभर में कोरोना वायरस के कई वेरिएंट्स सामने आ चुके हैं. ऐसा कहा जा रहा था कि भारत में मौजूद कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट बेहद खतरनाक और संक्रामक है. लेकिन अब सरकारी पैनल इंसाकाग (INSACOG) ने साफ करते हुए कहा है कि डेल्टा से पैदा हुआ डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा के मुकाबले कम संक्रामक हो सकता है.


इंसाकाग ने यह भी कहा कि एवाई.3 को डेल्टा के नए उप-स्परूप के रूप में चिन्हित किया गया है. इस म्यूटेंट के बारे में अभी कोई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं है, लेकिन इसपर लगातार नजर रखी जा रही है. यह मुख्य रूप से अमेरिका, यूके और भारत में देखा गया है. इससे पहले डब्ल्यूएचओ की ओर से कहा गया था कि वैश्विक स्तर पर, अल्फा वेरिएंट 170 देशों, क्षेत्रों या इलाकों में मिला है, बीटा वेरिएंट 119 देशों में, गामा वेरिएंट 71 देशों में और डेल्टा वेरिएंट का 85 देशों में पता चला है.


डेल्टा प्लस वेरिएंट से कम नहीं होता वैक्सीन का असर


वहीं, देश में कोविड कार्यबल के प्रमुख वी के पॉल ने कहा है कि अबतक ऐसा कोई वैज्ञानिक आंकड़ा नहीं है, जिससे यह स्थापित हो कि यह एक से दूसरे में तेजी से फैलने वाला है या फिर कोविड के टीके का असर कम करता है. उन्होंने कहा, ‘‘महामारी की और लहर आएगी या नहीं, यह हमारे अपने वश में नहीं है. मेरे हिसाब से लहर की कोई तारीख नहीं बतायी जा सकती है.’’ उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस का नया वेरिएंट डेल्टा प्लस का पता 11 जून को चला और इसे ‘चिंताजनक’ श्रेणी में रखा गया है.


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