नई दिल्ली: ‘डेल्टा प्लस वेरिएंट’ ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वायरस को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ की श्रेणी में रखा है और अब तक इसके 22 मामले सामने आ चुके हैं. ये मामले महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश के 6 जिलों में सामने आए हैं जिसको लेकर केंद्र सरकार ने इन राज्यों को चिट्ठी भी लिखी है. भारत के अलावा कोरोना का ‘डेल्टा प्लस वेरिएंट’ 9 देशों में पाया गया है. 


भारत मे आई दूसरी कोरोना वेव के लिए कोरोना वायरस का 'डेल्टा वेरिएंट' काफी हद तक जिम्मेदार था. 'डेल्टा वेरिएंट' जो कि ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ था और 80 देशों में पाया गया. लेकिन अब डेल्टा प्लस आ गया है. कोरोना वायरस में म्यूटेशन हुआ और अब ये ‘डेल्टा प्लस’ वेरिएंट हो गया है. दुनिया के 9 देशों में पाए जाने के बाद अब ये वेरिएंट भारत मे भी मिला है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ की श्रेणी में रखा है. ये भारत के अलावा 9 देशों में पाया गया है, ये देश हैं यूएसए, यूके, स्विट्जरलैंड, पुर्तगाल, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन, रूस और अब भारत. 


भारत  के तीन राज्यों में मिला ‘डेल्टा प्लस वेरिएंट’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक INSACOG के हालिया जीनोम सिक्वेंसिंग के मुताबिक ये ‘डेल्टा प्लस वेरिएंट’ भारत के तीन राज्यों में मिला है - महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश. महाराष्ट्र के रत्नागिरी और जलगांव जिलों में यह पाया गया है. वहीं केरल के पलक्कड़ और पठानमथिट्टा जिले और मध्य प्रदेश के भोपाल और शिवपुरी जिले में ये ‘वायरस ऑफ कंसर्न’ मिला है. महाराष्ट्र में जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए इस वायरस के 22 में से 16 केस मिले हैं. INSACOG के निष्कर्षों के आधार पर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन राज्यों को चिट्टी लिखकर सतर्क रहने की सलाह दी है.


केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि भारत मे जो मामले हैं वो महाराष्ट्र के दो जिलों रत्नागिरी और जलगांव में मिले है. 22 में से 16 मामले इन दो जिलों में है. कुछ मामले केरल और मध्य प्रदेश के जिलों में है. आज स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन राज्यों को एडवाइजरी जारी कर ये बताया है उन्हें किस प्रकार की करवाई करनी है और हम नहीं चाहते है कि ये मामले बढ़े या अधिक बड़ा रूप ले.


अब तक INSCOG ने 45 हज़ार सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की है. INSACOG एक कंसोर्टियम है जो कोविड महामारी के संदर्भ में संपूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए बनी है और इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय, डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की 28 लैब हैं. INSACOG ने बताया है कि ‘डेल्टा प्लस वैरिएंट’, जो ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ है, ये तेज़ी से संक्रमित करता है, फेफड़ों को जल्द संक्रमित करता है और  मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया में संभावित कमी करता है. 


केंद्र ने दी राज्यों को सलाह 
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि अब तक INSCOG ने 45 हज़ार सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की है. जब ये जीनोम सीक्वेंस करते है तो क्लीनिकल डेटा को कोरिलेट करते हैं और अपने इनपुट स्वास्थ्य मंत्रालय को देते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय समय सीमा के भीतर राज्यों को बताता है किस प्रकार की करवाई की जानी है. 


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश को सलाह दी है कि पब्लिक हेल्थ रिस्पॉन्स मोटे तौर परवही रहेंगे जो उनके द्वारा पहले लागू किए गए हैं. वहीं उन्हें ज्यादा केंद्रित और प्रभावी बनाना होगा. राज्यों के मुख्य सचिवों को सलाह दी गई है कि वे प्राथमिकता के आधार पर जिलों और समूहों जैसा कि INSACOG द्वारा पहचाना गया है, में भीड़ को रोकने और लोगों के आपस में जुड़ने, व्यापक टेस्टिंग, ट्रेसिंग के साथ-साथ वैक्सीन कवरेज में तत्काल रोकथाम के उपाय करें. साथ ही उन्हें ये सुनिश्चित करने की भी सलाह दी गई थी कि पॉजिटिव व्यक्तियों के  नमूने INSACOG की  प्रयोगशालाओं को तुरंत भेजे जाएं ताकि जरूरी कदम उठाए जा सके. 


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