Explained: जानिए कोरोना का डेल्टा वैरिएंट अब तक किस-किस राज्य में फैला है, सरकार का क्या कहना है
देश के 12 राज्यों में डेल्टा प्लस के अब तक करीब 51 मामले आ चुके हैं. इस स्वरूप से संक्रमण के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र से आए हैं. सबसे पहले जानिए देश के किन-किन राज्यों में फैला डेल्टा वर्जन.
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देश में जानलेवा कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है. इस बीच कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा ने केंद्र और राज्य सरकारों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी कहा है कि डेल्टा स्वरूप के मामले अब करीब 100 देशों में सामने आ चुके हैं, इसके साथ ही उसने आगाह किया कि आने वाले महीनों में यह बेहद संक्रामक स्वरूप पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का सबसे हावी स्वरूप बन जाएगा.
देश के 12 राज्यों में डेल्टा प्लस के अब तक करीब 51 मामले आ चुके हैं. इस स्वरूप से संक्रमण के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र से आए हैं. सबसे पहले जानिए देश के किन-किन राज्यों में फैला डेल्टा वर्जन.
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
- पंजाब
- गुजरात
- केरल
- आंध्र प्रदेश
- तमिलनाडु
- ओडिशा
- राजस्थान
- जम्मू कश्मीर
- कर्नाटक
- और अब हिमाचल में भी एक मामला सामने आया है.
दुनिया के कई देशों ने कहा है कि डेल्टा स्वरूप के कारण उनके यहां संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. इस स्वरूप के अन्य स्वरूपों के मुकाबले ज्यादा हावी होने और आगामी महीनों में सबसे अधिक प्रभावशाली स्वरूप बन जाने का अंदेशा है. हालांकि डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए आज के समय में जो कदम उठाए जाते हैं वे डेल्टा समेत वायरस के अन्य चिंताजनक स्वरूपों के खिलाफ भी प्रभावी हैं.
आंकड़ों के मुताबिक-
- अल्फा स्वरूप के मामले 172 देशों में
- बीटा स्वरूप के मामले 120 देशों में
- गामा स्वरूप के मामले 72 देशों में
- और डेल्टा स्वरूप के मामले 96 देशों (जिनमें से 11 नए देश हैं) में सामने आए हैं.
डेल्टा स्वरूप को प्रभावी तरीके से बेअसर कर देती है कोवैक्सीन
अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) ने कहा है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से भारत बॉयोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन कोरोना वायरस के अल्फा और डेल्टा स्वरूपों को प्रभावी तरीके से बेअसर करती है. एनआईएच ने कहा कि कोवैक्सीन लगवाने वाले लोगों के रक्त सीरम के दो अध्ययनों के परिणाम बताते हैं कि यह टीका ऐसे एंटीबॉडी विकसित करता है, जो सार्स-सीओवी-2 के बी.1.1.7 (अल्फा) और बी.1.617 (डेल्टा) स्वरूपों को प्रभावी तरीके से बेअसर करते हैं, ये स्वरूप सबसे पहले क्रमश: ब्रिटेन और भारत में पाए गए थे.
डेल्टा प्लस स्वरूप से टीके का असर कम होने का प्रमाण नहीं- सरकार
वहीं, देश में कोविड कार्यबल के प्रमुख वी के पॉल ने कहा है कि अबतक ऐसा कोई वैज्ञानिक आंकड़ा नहीं है, जिससे यह स्थापित हो कि यह एक से दूसरे में तेजी से फैलने वाला है या फिर कोविड के टीके का असर कम करता है. उन्होंने कहा, ‘‘महामारी की और लहर आएगी या नहीं, यह हमारे अपने वश में नहीं है. मेरे हिसाब से लहर की कोई तारीख नहीं बतायी जा सकती है.’’ उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस का नया स्वरूप डेल्टा प्लस का पता 11 जून को चला और इसे ‘चिंताजनक’ श्रेणी में रखा गया है.
दूसरे स्वरूपों की तुलना में फेफड़ों में ‘डेल्टा प्लस’ की ज्यादा मौजूदगी
कोरोना के अन्य स्वरूपों की तुलना में ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप का फेफड़ों के उत्तकों से ज्यादा जुड़ाव मिला है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि इससे गंभीर बीमारी होगी या यह ज्यादा संक्रामक है. टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के कोविड-19 कार्य समूह (एनटीएजीआई) के प्रमुख डॉ एन के अरोड़ा ने यह बात कही.
उन्होंने कहा कि कुछ और मामलों की पहचान के बाद डेल्टा प्लस के असर के बारे में तस्वीर ज्यादा स्पष्ट होगी, लेकिन ऐसा लगता है कि टीके की एक या दोनों खुराक ले चुके लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण दिखते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसके प्रसार पर बहुत करीबी नजर रखनी होगी ताकि हमें इससे फैलने वाले संक्रमण का पता चले.’’
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