नई दिल्लीः भारत के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने गुरुवार को इस बात की सिफारिश की है कि वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) को कोविड-19 के दो टीकों कोवैक्सीन और कोविशील्ड के मिश्रण के क्लिनिकल परीक्षण की इजाजत दी जाए. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है.


समिति ने भारत बायोटेक को उसके कोवैक्सिन और प्रशिक्षण स्तर के संभावित एडेनोवायरल इंट्रानैसल टीके बीबीवी154 के परस्पर परिवर्तन पर अध्ययन करने के लिए मंजूरी देने की भी सिफारिश की, लेकिन हैदराबाद स्थित कंपनी को अपने अध्ययन से ‘परस्पर परिवर्तन’ शब्द हटाने को कहा है और मंजूरी के लिए संशोधित प्रोटोकॉल जमा कराने को कहा है.


एक सूत्र ने बताया कि विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने विस्तृत विचार विमर्श के बाद वेल्लोर के सीएमसी को चौथे चरण का क्लिनिकल परीक्षण करने की अनुमति देने की सिफारिश की, जिसमें कोविड​​-19 टीकों, कोवैक्सिन और कोविशील्ड के मिश्रण पर अध्ययन करने के लिए 300 स्वस्थ स्वयंसेवकों को शामिल किया जाएगा.


सूत्र ने बताया कि अध्ययन का मकसद यह पता लगाना है कि क्या एक शख्स के पूर्ण टीकाकरण के लिए दो अलग-अलग टीकों की खुराकें लगाई जा सकती हैं यानी, एक टीका कोवैक्सीन का लगा दिया जाए और दूसरा टीका कोविशील्ड का लगाया जाए.


विशेषज्ञ समूह ने बायोलोजिकल-ई द्वारा पांच से 17 साल के उम्र की आबादी पर अपने कोविड-19 टीके का दूसरे/तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण करने के लिए दिए गए आवेदन पर भी चर्चा की.


अन्य सूत्र ने बताया कि एजेंडे में जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी का आवेदन भी था जिसमें उसने कोरोना वायरस रोधी टीके के तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण की इजाजत मांगी है लेकिन कंपनी ने सूचित किया कि वे अपना प्रस्ताव वापस ले रही है. जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के टीके की सिर्फ एक ही खुराक लगती है.


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