देशभर में उठ रही चीनी सामान के बहिष्कार की मांग ने खिलौना व्यापारियों की बढ़ाई चिंता
भारत में आज 85 फीसदी खिलौने चीन से ही मंगाए जाते हैं. देशभर के बाजारों में चीन में बनाए खिलौने ही बिकते हैं.
मुंबई: भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के कारण देशभर में चीनी सामान के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ती जा रही है. हालांकि इस मांग के उठने के बाद चीनी खिलौने के व्यापार करने वाले लाखों व्यापारियों को अपनी रोजी-रोटी चले जाने की चिंता सता रही है. यूनाइटेड टॉयज एसोसिएशन के कई व्यापारी चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर चिंतित हैं.
बाजारों में बिकने वाले रंग बिरंगे खिलौने से सजी दुकानें, कहीं आकर्षक खिलौनें, कहीं बाइक तो कहीं बार्बी डॉल. ये सब देखने में बहुत सुंदर तो लगते हैं, लेकिन आपको बता दें कि ये रंग बिरंगे खिलौने चीन में बनाए जाते हैं और वहीं, से आते भी हैं. मुंबई के मोहम्मद अली रोड पर स्थित दुकानों में आपको इस तरह के चमकदार खिलौनों की भरमार देखने को मिल जाएगी. आज भले ही चीन और भारत के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं. लेकिन हकीकत यह भी है कि चीन ने लोगों को अपने सामानों की आदत लगा दी है.
आज भारत और चीन के बीच जारी तनाव के चलते चीन से भारत इम्पोर्ट किए गए समान का बहिष्कार करने की मांग उठ रही है. चीन से हर प्रकार का व्यापार बंद करने की मांग की जा रही है. लेकिन एक कड़वा सच यह भी है कि चीन से आने वाले सामान के व्यापार से लाखों परिवार जुड़े हुए हैं, जो बहिष्कार से बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं और हो भी रहे हैं.
खिलौनों का एक व्यापार ऐसा ही है जिससे लाखों लोग जुड़े हैं. देश में लगभग 85 फीसदी खिलौनों का सामान चीन से आता है. ऐसे में चीनी समान का बहिष्कार की मांग के कारण यूनाइटेड टॉयज एसोसिएशन के व्यापारियों को अब अपनी रोजी रोटी की चिंता सता रही है.
यूनाइटेड टॉयज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट फारुक एबीपी से बात करते हुए कि लॉकडाउन की मार से हम अब तक नहीं पाए हैं. दुकान तीन महीने से बंद है. अब चीनी समान के बहिष्कार को लेकर उठ रही मांग की दोहरी मार लाखों परिवार पर पड़ रही है.ऐसे में हम सभी के सामने कमाने-खाने को लेकर सवाल खड़ा हो गया हैं. दुकान में मौजूद सभी खिलौने चीन से लाए गए हैं. भारत में आज 85 फीसदी खिलौने चीन से ही मंगाए जाते हैं. देश भर के मार्केट में चीन में बनाए खिलौने बिकते हैं.
फारुक और टॉयज एसोसिएशन का कहना है कि भारत में अगर 85 फीसदी समान चीन का है तो उसका कारण हैं वहां से आने वाले समान की क्वालिटी और कीमत.
फारुक बताते हैं कि के सालों से ग्राहक चीनी सामन ही खरीदना पसंद करते हैं. आज हम भी चाहते हैं कि हमें चीन से इम्पोर्ट न करना पड़े लेकिन हमारे देश में ना ही उतने रिसोर्स हैं और ना ही उतनी टेक्नोलॉजी. आज हमें इस पर काम करने की बेहद ज़रूरत है.
फारुक कहते हैं कि हम सरकार के हर फैसले के साथ हैं. लेकिन आज बहिष्कार की मांग को लेकर खिलौना व्यापार से जुड़े लाखों व्यापारियों को चिंता सता रही है. तीन महीने जैसे-तैसे हमने अपने कर्मचारियों को उनकी तनख्वाह दी है. लेकिन अब एक नई चुनौती हमारे सामने पैदा हो गई है. लाखों लोगों का चूल्हा इसी से जलता है. सरकार अगर चीनी सामन के बहिष्कार को लेकर कदम उठाती है तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे. हम हर कदम पर और उसके फैसले के साथ हैं. इसलिए हमारी मांग है कि सरकार हमारे बारे में सोचे और फैसला ले.
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