लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से रुख साफ करने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा है कि मामले की जांच कर रही SIT और जांच की निगरानी कर रहे जज ने सिफारिश की है कि राज्य सरकार आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए अपील दाखिल करे. राज्य सरकार को इस पर विचार कर निर्णय लेना चाहिए. मामले की अगली सुनवाई सोमवार, 4 अप्रैल को होगी.
29 मार्च को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को हलफनामा दायर कर बताया था कि वह लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत को चुनौती देने पर विचार कर रही है. राज्य सरकार ने यह बात आशीष की जमानत के खिलाफ दायर एक याचिका के जवाब में कही थी. यूपी सरकार ने इस आरोप का भी खंडन किया था कि उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट में आशीष की जमानत याचिका का विरोध नहीं किया था.
राज्य सरकार को भेजी गई चिट्ठी पर उठा सवाल
16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग पर यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था. चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार सभी गवाहों को सुरक्षा दे. आज मामला चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और हिमा कोहली की विशेष बेंच में लगा. सुनवाई की शुरुआत में ही चीफ जस्टिस ने 10 फरवरी को SIT और 14 फरवरी को जांच की निगरानी कर रहे रिटायर्ड जज की तरफ से राज्य सरकार को भेजी गई चिट्ठी का सवाल उठा दिया. यूपी सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. वह राज्य सरकार से निर्देश लेकर जवाब देंगे.
पिछले साल 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई थी. इससे कुछ किसानों की मृत्यु हो गई थी. मामला सुप्रीम कोर्ट में उठा. कोर्ट ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी न होने पर नाराजगी जताई थी. इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष उर्फ मोनू को गिरफ्तार किया. इस साल 10 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. इसे घटना में मारे गए एक किसान के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
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