RTE की तर्ज पर 12वीं तक निशुल्क शिक्षा की मांग, संसद में उठा मामला
सरकार आरटीई के तहत निजी स्कूलों में कक्षा 8वीं तक की मुफ्त पढ़ाई की व्यवस्था करती है, जिसके चलते गरीब परिवारों के बच्चे भी देश के नामचीन स्कूलों में पढ़ाई कर पा रहे हैं. सांसद फिरोजिया ने मांग रखी है कि सरकार 12वीं तक निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था करे.
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के उज्जैन आलोट से सांसद अनिल फिरोजिया ने 12वीं तक निशुल्क शिक्षा देने की मांग सरकार से की है. इसके लिए गुरुवार को उन्होंने संसद में यह मामला उठाया. संसद में बोलते हुए सांसद ने कहा कि अभी सरकार आरटीई के तहत निजी स्कूलों में कक्षा 8वीं तक की मुफ्त पढ़ाई की व्यवस्था करती है, जिसके चलते गरीब परिवारों के बच्चे भी देश के नामचीन स्कूलों में पढ़ाई कर पा रहे हैं. इन बच्चों की फीस सरकार निजी स्कूलों को देती है. लेकिन इस कानून के लागू होने के करीब 9 साल बाद भी 8वीं तक इस योजना के तहत निजी स्कूलों में पढ़कर 9वीं में जाते ही मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था खत्म हो रही है क्योंकि आरटीई के तहत मुफ्त शिक्षा व्यवस्था सिर्फ 8वीं तक ही है. 9वीं कक्षा में जाते ही विद्यर्थियों के परिजनों को स्कूलों को उनके तय अनुसार फीस का भुगतान करना पड़ रहा है. इस कारण हजारों लाखों बच्चों को मजबूरन पढ़ाई छोड़नी पड़ी है.
देशभर के लाखों विद्यार्थियों व उनके परिजनों का दर्द समझते हुए उज्जैन आलोट के सांसद अनिल फिरोजिया ने इस मामले को गुरुवार को लोकसभा में उठाया और सदन का ध्यान इस गंभीर मुद्दे पर खींचा है. सदन में सांसद फिरोजिया ने सरकार से मांग की है कि राइट टू एजुकेशन की तर्ज पर ऐसी व्यवस्था की जाए कि गरीब परिवार के बच्चे 8वीं के बाद आगे भी मुफ्त शिक्षा ले सकें. इसलिए सांसद फिरोजिया ने मांग रखी है कि सरकार 12वीं तक निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था करे. गरीब परिवारों की पीड़ा को समझते हुए फिरोजिया ने आज सदन में मांग की है कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे जिससे इन बच्चों की 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई फ्री हो सके. तभी इस अभियान की पूर्ण सार्थकता रहेगी.
सांसद फिरोजिया ने बताया कि देश के लाखों प्रतिभावान बच्चे जो आर्थिक तंगी के कारण अच्छे निजी स्कूलों में नही पढ़ पा रहे थे, उनके लिए ये योजना वरदान है. इसके कारण बच्चों को उन स्कूलों में पढ़ने का मौका मिला जहां अमीर लोगों के बच्चे ही पढ़ सकते थे. लेकिन अब 8वीं तक अपने आप को सिद्ध करते हुए आए इन बच्चों के कोमल मन पर क्या बीतेगी जब इनको पढ़ाई छोड़कर छोटे मोटे काम करने पड़ेंगें और प्रतिभा होते हुए भी डिग्री के कारण ये समाज मे पिछड़ जायेंगे. सांसद ने इसी बात को सोचते हुए इस ज्वलंत मुद्दे को सदन में उठाया है.
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