शिवसेना इफेक्ट: NDA सहयोगियों का बढ़ रहा है दबाव, संवाद बढ़ाने की मांग हुई तेज़
शिवसेना के एनडीए से अलग होने के बाद अब एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के स्वर भी उठने लगे हैं. जेडीयू ने माना है कि एनडीए में संवाद बढ़ाना चाहिए.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र चुनाव के बाद एनडीए से अलग हुई शिवसेना के बाहर जाने के बाद अब एनडीए के अन्य सहयोगी दलों में चिंता बढ़ रही है. उनका मानना है कि एनडीए गठबंधन में संवाद के अवसर ज़्यादा नहीं मिलते जिसका असर गठबंधन पर पड़ सकता है. एनडीए के अन्य दलों के मुताबिक देश के बड़े मामलों में एनडीए के उनसे बात नहीं होती ये गठबंधन के लिए ठीक नहीं है.
बिहार में एनडीए की एक अहम साथी लोकजनशक्ति पार्टी ने एक अन्य सहयोगी जेडीयू के उस बयान पर चिंता जताई है जिसमें कहा गया था कि एनडीए के भीतर समन्वय और संवाद की कमी है. लोकजनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि अगर किसी सहयोगी को ऐसा लगता है कि गठबंधन में समन्वय का अभाव है तो इस शिकायत को दूर करने की ज़रूरत है. चिराग ने ये भी माना कि जिस तरह से हर संसद सत्र के पहले एनडीए सहयोगियों की बैठक होती है वैसी ही बैठक साल में और भी होनी चाहिए.
जेडीयू ने की थी समन्वय समिति बनाने की मांग
जेडीयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने मंगलवार को एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा था कि एनडीए में समन्वय की कमी है और इसे दूर करने के लिए पहले की तरह ही एक समन्वय समिति बनाने की ज़रूरत है. त्यागी के मुताबिक़ राम मंदिर, एनआरसी, तीन तलाक़ बिल और समान आचार संहिता जैसे बड़े मामलों पर भी सहयोगी दलों में कोई बातचीत नहीं होती जो ठीक नहीं है. जेडीयू का मानना है एनडीए का एक साझा घोषणा पत्र भी जारी किए जाना चाहिए.
एनडीए की बैठक में उठ सकता है मसला
सूत्रों के मुताबिक़ 18 नवंबर को शुरू होने वाले संसद सत्र के एक दिन पहले जो एनडीए की बैठक होनी है. इस बैठक में कुछ सहयोगी दल समन्वय समिति बनाए जाने की मांग कर सकते हैं. दरअसल बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिलने के बावजूद महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन पाई और शिवसेना ने एनडीए से बाहर आने का फ़ैसला कर लिया. झारखंड में होने वाले चुनाव में भी एनडीए के घटक दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन पाई है. इसके बाद बीजेपी के अलावा एनडीए के अन्य सहयोगी दल इस तरह की मांग कर रहे हैं.