नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 मामले पर सुप्रीम कोर्ट में होने जा रही सुनवाई के सीधे प्रसारण की मांग उठी है. यह मांग पूर्व बीजेपी नेता गोविंदाचार्य ने की है. 5 जजों की संविधान पीठ 10 दिसंबर से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ दायर अर्जियों पर सुनवाई करने वाली है. गोविंदाचार्य के वकील की तरफ से मांग रखे जाने के बाद चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने इस पर विचार का आश्वासन दिया.
मांग का आधार कोर्ट का पुराना फैसला


सुनवाई के सीधे प्रसारण की मांग का आधार खुद सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला है. 26 सितंबर 2018 को आए इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग को मंजूरी दी गई थी. तब कोर्ट ने कहा था, "भारत में कोर्ट सबके लिए खुला रखने की व्यवस्था है. सीधा प्रसारण होने से लोगों को कार्रवाई देखने के लिए कोर्ट आने की जरूरत नहीं पड़ेगी. हम इसे सिद्धांत रूप में स्वीकार करते हैं. अब सरकार इसके लिए जरूरी नियम बनाए".
अयोध्या पर सुनवाई के समय भी की थी मांग

फैसला देते वक्त कोर्ट ने यह भी कहा था कि सीधे प्रसारण की शुरुआत बड़े संवैधानिक मसलों और जनहित से जुड़े मामलों से की जाएगी. इसको आधार बनाते हुए गोविंदाचार्य अयोध्या मामले पर हुई सुनवाई के भी सीधे प्रसारण की मांग कर चुके हैं. 16 सितंबर को अयोध्या पर सुनवाई करने वाली 5 जजों की बेंच के अध्यक्ष तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कोर्ट की रजिस्ट्री से रिपोर्ट भी मांगी थी. उन्होंने पूछा था कि ऐसा कर पाना संभव है या नहीं. अगर कोर्ट आदेश दे तो कितने दिनों में लाइव स्ट्रीमिंग का इंतजाम किया जा सकता है. हालांकि, बात इससे आगे नहीं बढ़ी थी. अब एक बार फिर गोविंदाचार्य ने कोर्ट के पुराने फैसले को आधार बनाते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को 2 केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के मसले पर होने वाली सुनवाई के प्रसारण की मांग की है.
आज क्या हुआ

आज उनकी तरफ से उनके वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने मामला रखते हुए कहा, "यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है. इसलिए पिछले साल आए कोर्ट के आदेश के मुताबिक लोगों को इसकी सुनवाई देखने का मौका मिलना चाहिए". वकील ने यह भी कहा कि अगर अभी लाइव स्ट्रीमिंग नहीं हो सकती तो कम से कम सुनवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग हो".

चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने इस अर्जी पर सुनवाई का भरोसा दिया. हालांकि, उन्होंने इस पर सुनवाई की कोई तारीख तय नहीं की. ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि क्या कोर्ट 5 दिन बाद शुरू हो रही अनुच्छेद 370 मामले की सुनवाई से पहले इस अर्जी पर विचार करेगा. वैसे कानून के कुछ जानकारों का मानना है कि अगर कोर्ट अर्जी पर सुनवाई कर भी ले, तब भी जम्मू-कश्मीर मामला संवेदनशील होने के चलते उसकी सुनवाई के सीधे प्रसारण की उम्मीद कम है.

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