नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर एक बार फिर से राहुल गांधी का नाम जोर पकड़ रहा है. कांग्रेस शासित राज्यों में एक बार फिर से राहुल गांधी को दोबारा पार्टी अध्यक्ष नियुक्त करने की मांग जोर पकड़ रही है. पार्टी की प्रदेश इकाइयां इस संबंध में प्रस्ताव भी पास करने लगी हैं. अब सबकी निगाहें मई में होने वाले संगठन के चुनाव पर टिकी हैं. दिल्ली और छत्तीसगढ़ के बाद अब तेलंगाना भी इस मांग के समर्थन में आवाज बुलंद करने वाला तीसरा राज्य बन गया है.


तेलंगाना में एक बैठक में सर्वसम्मति से राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया है. बैठक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के तेलंगाना प्रभारी और सांसद मणिकम टैगोर और 33 जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष एन. उत्तम कुमार रेड्डी और सीएलपी लीडर भट्टी विक्ररमार्का ने भी हिस्सा लिया.


वहीं इससे पहले छत्तीसगढ़ राज्य इकाई ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जरिए प्रस्तावित और राज्य इकाई के अध्यक्ष मोहन मरकाम और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के जरिए अनुमोदित एक प्रस्ताव पारित किया था. इसके अलावा दिल्ली कांग्रेस ने भी राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था.


दिल्ली कांग्रेस में भी प्रस्ताव


दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख चौधरी अनिल कुमार ने राहुल गांधी से अनुरोध किया कि वे जल्द से जल्द कांग्रेस के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करें. उन्होंने कहा, 'देश में खतरनाक राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस को सांप्रदायिक, सत्तावादी और अलोकतांत्रिक ताकतों का मुकाबला करने के लिए राहुल गांधी जैसे ऊर्जावान और शक्तिशाली नेता की आवश्यकता है.'


प्रस्ताव में क्या है?


इस प्रस्ताव में कहा गया है कि राहुल गांधी मोदी सरकार के गलत कामों का पदार्फाश करने के लिए दृढ़ निश्चय कर रहे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उनका आत्मविश्वास कार्यकर्ताओं के आत्मविश्वास और मनोबल को बढ़ाने के लिए जरूरी है. प्रस्ताव में कहा गया है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने संसद के अंदर और बाहर किसान विरोधी कानूनों का जबरदस्त विरोध किया था और देश में कृषि क्षेत्र को बर्बाद करने वाले कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान आंदोलन का समर्थन किया था, क्योंकि इन कानूनों का उद्देश्य मोदी सरकार के कुछ अमीर कॉर्पोरेट मित्रों को लाभ पहुंचाना है.


2019 में दिया था इस्तीफा


बता दें कि आम चुनावों में पराजय के बाद राहुल गांधी ने मई 2019 में पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और सोनिया गांधी को अगस्त में अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. इसके बाद यह मुद्दा कांग्रेस नेताओं की ओर से उठाया गया था जिन्होंने अगस्त 2020 में पार्टी और ब्लॉक से सीडब्ल्यूसी स्तर तक चुनावों में व्यापक सुधार की मांग की थी. लेकिन, पार्टी ने पांच राज्यों के चुनावों के बाद मई में संगठन का चुनाव कराने का फैसला किया है.


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