नई दिल्ली: जब कोरोना का RTPCR टेस्ट 400 रुपए में हो सकता है, तब लोगों से हज़ारों रुपये क्यों वसूले गए. यह सवाल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक अर्ज़ी में उठाया गया है. याचिकाकर्ता वकील अजय अग्रवाल ने लोगों से वसूली गई अधिक कीमत लौटाने की मांग की है.


24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अग्रवाल की उस याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें RTPCR टेस्ट की कीमत पूरे देश में 400 रुपये करने की मांग की गई थी. याचिका पर कोर्ट के नोटिस के बाद कई राज्यों ने टेस्ट की फीस घटाई है. अब याचिकाकर्ता ने पहले वसूल लिए गए अतिरिक्त पैसे लौटाने के लिए अर्ज़ी दी है. मामले पर 11 दिसंबर को सुनवाई होगी.


क्या है मुख्य मामला


सुप्रीम कोर्ट ने जिस याचिका पर नोटिस जारी किया था, उसमें बताया गया था कि अलग-अलग राज्यों में RTPCR टेस्ट की अलग-अलग कीमत वसूली जा रही है, जो कि 900 से लेकर 3200 रुपए तक है. जबकि, फार्मा कंपनी वॉकहारड्ट समेत दूसरी कंपनियां 175 से 200 रुपये तक में ही उपलब्ध करा रही हैं. ऐसे में टेस्ट की इतनी अधिक कीमत आम लोगों के साथ सरासर लूट है. टेस्ट लैब चलाने वालों ने देश के 135 करोड़ लोगों के सामने आई आपदा को अपने लिए पैसा कमाने का अवसर बना लिया है.


याचिका में कहा गया था कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार को राज्यों को यह निर्देश देने का अधिकार है कि वह RTPCR टेस्ट की कीमत क्या रखें. इसलिए, कोर्ट केंद्र सरकार से राज्यों को ऐसा निर्देश देने के लिए कहे.


नोटिस के बाद क्या हुआ


हालांकि, कोर्ट के नोटिस का अभी तक केंद्र ने जवाब दाखिल नहीं किया है, लेकिन राज्यों ने खुद ही कीमत घटाना शुरू कर दिया है. बिहार ने 800, यूपी ने 700 तो ओडिशा ने 400 रुपये की नई फीस तय की है. दूसरे कई राज्यों ने भी निजी टेस्ट लैब को फीस घटाने का निर्देश दिया है. ऐसे में याचिकाकर्ता ने नई अर्ज़ी दाखिल कर कहा है कि कोर्ट पूरे देश मे टेस्ट की कीमत 400 रुपये करने का आदेश दे. साथ ही, पिछले कुछ महीनों में लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर वसूले गए ज़्यादा पैसे लौटाने के लिए भी कहे.