नई दिल्ली: जहां एक ओर पद्मावती को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन चल रहा है तो वहीं दूसरी ओर फिल्म जगत के कई लोग फिल्म के समर्थन में खड़े हैं. अभिनेत्री-फिल्मकार नंदिता दास ने कहा कि संजय लीला भंसाली की मशहूर फिल्म 'पद्मावती' पर पाबंदी की मांग बस इस तथ्य को रेखांकित करती है कि कला बेहद सशक्त होती है.


उन्होंने कहा कि किसी भी कलाकार की अभिव्यक्ति को दबाना यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं कला एक विशेष प्रकार की सोच को चुनौती दे रही है.


'टाईम्स लिटफेस्ट' के एक कार्यक्रम में नंदिता ने कहा, "कला कोई क्रांति नहीं करती, लेकिन वह-अच्छी हो या बुरी, हमारे अवचेतन मन में घर कर जाती है. चूंकि लोग पद्मावती पर पाबंदी लगाना चाहते हैं तो आपको कला की शक्ति का अहसास होता है." उन्होंने कहा, " जबतक हम किसी भी विषय को विभिन्न नजरिए से नहीं देखेंगे तब तक हम अपनी पसंद को अच्छी नही बना सकते हैं."


फिल्म 'पद्मावती' विवादों में घिरी है क्योंकि राजपूत संगठन और राजनीतिक दलों के नेता फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे हैं. इस वजह से देशभर में कई जगह फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है और फिल्म पर पाबंदी की मांग की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ इतिहासकारों का मानना है कि पद्मावती एक साहित्यिक पात्र है इसे इतिहास से जोड़कर देखना सही नही है.


बता दें कि नंदिता की अगली फिल्म 'मंटो' अगले साल रिलीज होने जा रही है जो कि उर्दू साहित्यकार सआदत हसन मंटो पर आधारित है.