नई दिल्ली: नोटबंदी के खिलाफ कांग्रेस जमकर हमले कर रही है. खुद राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोल रहे हैं. लेकिन आज ये साफ हो गया कि कांग्रेस नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष को एकजुट करने में नाकाम हो गई है. कल सोनिया गांधी ने इस मुद्दे पर सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है लेकिन अबतक की जानकारी के मुताबिक उस बैठक में कांग्रेस का साथ देने के लिए सिर्फ ममता बनर्जी और लालू यादव पहुंचने वाले हैं.


नोटबंदी के बाद विपक्ष के तमाम बड़े चेहरों ने संसद से लेकर सड़क तक कांग्रेस का साथ दिया लेकिन अब वो इस मुद्दे पर कांग्रेस से कन्नी काटते दिख रहे हैं. नोटबंदी के मुद्दे पर कल सोनिया गांधी ने दोपहर तीन बजे दिल्ली में बैठक बुलाई है लेकिन उस बैठक में पहुंच रहे हैं विपक्ष के केवल दो बड़े चेहरे-लालू यादव और ममता बनर्जी .



विपक्ष के बाकी दलों ने कांग्रेस के निमंत्रण को अस्वीकार किया है. उसकी दो बड़ी वजह हैं, पहला वो कांग्रेस की बैठक में शामिल होकर ये संदेश नहीं देना चाहते हैं कि उन्होंने कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार लिया है. दूसरी वजह, विपक्ष के कई दलों के बीच सत्ता संघर्ष चल रहा है. जैसे पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और ममता बनर्जी के बीच. यूपी में एसपी और बीएसपी के बीच. पंजाब में कांग्रेस और केजरीवाल के बीच.


जेडीयू इस बात से नाराज है कि नोटबंदी के मुद्दे पर ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार को गद्दार कह दिया था. लेफ्ट के बारे में खबर है कि वो इस बात से नाराज है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी संसद सत्र के आखिरी दिन अकेले अपने नेताओं के साथ प्रधानमंत्री से मिलने चले गये थे. विपक्ष का ये बिखराव कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बन गया है क्योंकि बैठक सोनिया गांधी की पहल पर बुलाई गई है.


दूसरी तरफ सूत्रों से जो खबर मिल रही है, उसके मुताबिक कांग्रेस के बड़े नेता बैठक का बॉयकॉट करनेवाले विपक्षी दलों को मनाने में जुटे हैं. उनकी कोशिश है कि अगर विपक्ष के बड़े नेता खुद नहीं आते हैं तो वो कम से कम अपने प्रतिनिधि के तौर पर किसी नेता को बैठक में भेज दें ताकि नोटबंदी पर विपक्ष की एकता का दावा किया जा सके.