नई दिल्ली: 8 नवंबर को मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए 500-1000 के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था. मोदी सरकार के इस बड़े कदम के बाद बाजार से एक झटके में ही लगभग 86% मुद्रा चलन से बाहर हो गई. सरकार का ये फैसला काले धन पर लगाम लगाने के लिए उठाया गया अबतक का सबसे बड़ा कदम बताया जा रहा है. पीएम मोदी ने देश के नाम संबोधन में इस बड़े फैसले का ऐलान किया था और देश की जनता से 50 दिन का समय मांगा था.


नोटबंदी के बाद सरकार ई वॉलेट, डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन लेन-देन को बढ़ावा देने पर लगातार जोर दे रही है. जैसे-जैसे ऑनलाइन लेन देन बढ़ी है वैसे ही ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले भी सामने आने लगे हैं. पिछले दिनों दिल्ली के शहादरा के एक बैग व्यापारी लोकेश के पेटीएम अकाउंट से 17 हजार रुपए उड़ा लिए गए. लोकेश ने इस घटना की शिकायत पुलिस में की है. अब सवाल ये उठता है कि ऑनलाइन लेन-देन कितनी सेफ है और अगर ऑनलाइन लेन देन में धोखाधड़ी हो रही है तो इससे निपटने में हमारे साइबर लॉज़ कितने मजबूत हैं?


अंग्रेज़ी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 3 सालों में भारत में कुल 1,593 ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले सामने आए. ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले में महाराष्ट्र लिस्ट में सबसे टॉप पर है. 1,593 ऑनलाइन धोखाधड़ी में से 999 मामले अकेले महाराष्ट्र से ही हैं. इसके बाद दूसरा नंबर उत्तर प्रदेश का है. उत्तर प्रदेश में बीते 3 सालों में कुल 310 ऑनलाइन फ्रॉर्ड के मामले सामने आए हैं इसके ठीक बाद राजस्थान तीसरे पायदान पर है जहां बीते 3 सालों में 100 से अधिक ऑनलाइन फ्रॉर्ड के मामले सामने आए हैं.


नोटबंदी के फैसले के बाद से कैशलेस ट्रांजेक्शन में बढ़ोत्तरी तो हुई है इस बात को नकारा नहीं जा सकता लेकिन ये ट्रांजेक्शन्स केवल शहरों तक ही सीमित हैं. कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर अकामाई की 'स्टेट ऑफ़ द इंटरनेट - कनेक्टिविटी' रिपोर्ट की मानें तो भारत में इंटरनेट स्पीड की हालत खस्ता है. भारत में इंटरनेट की स्पीड 3.5 Mbps से भी कम मापी गई है. एसोचैम और डेलोइट के हाल के सर्वे में पाया गया है कि भारत में अभी 95 करोड़ लोग इंटरनेट की पंहुच से दूर हैं. अगर इन आंकड़ों की मानें तो भारत के कैशलेस होने का सपना इतनी जल्दी सच होता नहीं दिखाई दे रहा है. भारत के ग्रामीण इलाकों में अभी लोगों के पास आधारतभूत सुविधाएं तक नहीं हैं क्रेडिट और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल तो बहुत दूर की बात है.


इंटरनेट, डिजिटल और वर्चुअल दुनिया आज इतनी बड़ी और विशाल हो गई है कि ऑनलाइन फ्रॉर्ड में भी काफी तेज़ी आई है. अब सवाल ये उठता है कि अगर किसी के साथ ऑनलाइन फ्रॉर्ड हो जाता है तो वह आगे क्या करे?


भारत में साइबर क्राइम को लेकर सूचना तकनीक कानून 2000 और 2008 है. आपको बता दें कई मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और आतंकवाद निरोधक कानून के तहत भी कार्रवाई का प्रावधान है. लेकिन कानून होने मात्र से समस्या का समाधान नहीं हो जाता. भारत में पहले से ही कई कानून मौजूद हैं लेकिन इन कानूनों को आमतौर पर उपयोग में नहीं लाया जाता. भारत में अभी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थय और आवास जैसी चीजों का अभाव है. ऐसे में कैसे कैशलेस होगा इंडिया?


पिछले दिनों अमेरिकी के जाने-माने अर्थशास्त्री स्टीव एच हांके ने भी नोटबंदी के फैसले को गलत बताया था. हांके ने भारतीय अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने को लेकर भी सरकार को सचेत रहने की सलाह दी है. नोटबंदी का असर अर्थव्यवस्था पर कैसा रहा, ये आने वाले कुछ महीनों में पता चल जाएगा लेकिन फिलहाल सरकार का इंडिया को कैशलेस बनाने का सपना पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है.