नोटबंदी के दो साल: मनमोहन सिंह का PM मोदी पर हमला, बोले- तबाही का असर अब सभी के सामने है
Demonetisation: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के साथ की गई इस तबाही का असर अब सभी के सामने स्पष्ट है.
नई दिल्ली: नोटबंदी के दो साल पूरे हो चुके हैं. जहां सत्तापक्ष इसके फायदे गिना रहा है तो वहीं पूरा विपक्ष इसे पूरी तरह विफल और एक आपदा बता रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नोटबंदी के घाव वक्त के साथ गहरे दिख रहे हैं. उन्होंने कहा, ''बिना सोचे समझे नरेंद्र मोदी की सरकार ने नोटबंदी का जो फैसला लिया था आज उसकी दूसरी वर्षगांठ है. भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के साथ की गई इस तबाही का असर अब सभी के सामने स्पष्ट है.''
कांग्रेस नेता ने कहा, ''नोटबंदी से भारत की अर्थव्यवस्था और समाज में जो माहौल पैदा किया उसे हर कोई महसूस कर रहा है. नोटबंदी से हर कोई चाहे वो किसी उम्र, धर्म या पेशे का हो सभी प्रभावित हुए. ''
सिंह ने एक बयान में कहा कि मोदी सरकार को अब ऐसा कोई आर्थिक कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे अर्थव्यवस्था के संदर्भ में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से हर व्यक्ति प्रभावित हुआ.देश के मझोले और छोटे कारोबार अब भी नोटबंदी की मार से उबर नहीं पाए हैं.
Former PM Dr. Manmohan Singh's Press Statement on two years of Demonetisation & the devastating impact it had & continues to have on the Indian economy. #DestructionByDemonetisation pic.twitter.com/4d4JE8bdhY
— Congress (@INCIndia) November 8, 2018
कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर कहा कि अब जब लगभग सभी पुराने नोट रिजर्व बैंक के पास जमा हो गए हैं, तो आवश्यक है कि मोदी इस "स्व-निर्मित आपदा" के लिए देशवासियों से माफी मांगें. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की जिसके तहत, उन दिनों चल रहे 500 रुपये और एक हजार रुपये के नोट चलन से बाहर हो गए थे.
कांग्रेस ने शुक्रवार को नोटबंदी की दूसरी सालगिरह पर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने का फैसला किया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दिल्ली में आरबीआई के बाहर प्रदर्शन कर सकते हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने ट्वीट कर पिछले दिनों कहा था दो साल पहले प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की थी और इसे लागू करने के तीन कारण गिनाए थे. पहला इससे काला धन पर रोक लगेगी, दूसरा नकली मुद्रा पर रोक लगेगी और तीसरा आंतकवाद के वित्त पोषण पर रोक लगेगी, लेकिन इसमें से एक भी उद्देश्य पूरा नहीं हुआ.