नई दिल्ली: नोटबंदी पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा कि सरकार का ये फैसला खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसा है. न काला धन पर लगाम लगा और ही न भ्रष्टाचारा रुका है.


इस फैसले को देश का सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए पी चिदंबरम ने मांग की कि इसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा, "नोटबंदी ने गरीब जनता की कमर तोड़ दी है. ये खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसी स्थिती है. जितना नुकसान प्राकृतिक आपदा से नहीं हो सकता था, इससे हुआ है."


सरकार पर अपने हमले तेज़ रखते हुए पी चिदंबरम ने कहा, "ये सरकार का बेवकूफी भरा फैसला है. किसी के पास इसके लिए एक भी अच्छा शब्द नहीं है. ये एक अविवेकपूर्ण फैसला है. सभी बड़े अखबरों और अर्थशास्त्रियों ने इसकी आलोचना की है."


सरकार के फैसले के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए पी चिदंबरम ने पूछा कि कैसे नोटबंदी से देश का फायदा होगा? उन्होंने पूछा, "क्या इससे भ्रष्टाचार और कालाधन रुक गया है? नोटबंदी से इसपर रोक नहीं लग सकती. सिर्फ गरीब जनता को सजा मिल रही है."


पी चिदंबरम ने दावा किया कि सरकार का नोटबंदी का फैसला फेल रहा है और अब वो लगातार अपना गोल पोस्ट बदल रही है. उन्होंने कहा, "नोटबंदी से कालेधन खत्म नहीं हुआ... इसलिए अब वे लोग कैशलेस अर्थव्यवस्था की बातें कर रहे हैं."


आम जनता को नकदी की हो रही दिक्कतों पर पी चिदंबरम ने कहा कि क्या सरकार ने ये पता लगाया कि लोगों को कितने कैश की जरूरत है? पी चिदंबरम ने पूछा, "सरकार ने एक शख्स के 24000 रुपये निकाले की लिमिट को किस बुनियाद पर तय किया? जबकि बैंक इतना पैसे देने में सक्षम नहीं थे. इससे 45 करोड़ लोग प्रभावित हैं. इसकी भरपाई कौन करेगा?"