नोटबंदी: पुराने नोट जमा करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 500 और 1000 के पुराने नोट जमा कराने की मांग पर नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि भारत से बाहर रह रहे लोगों के अलावा दूसरों को 31 मार्च तक नोट जमा करने की इजाज़त क्यों नहीं दी गई?
सरकार को 2 हफ्ते में जवाब देना है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा, ''अगर हम सरकार के जवाब के बाद आपकी दलीलों से संतुष्ट होते हैं तो आपको विशेष इजाजत देने पर विचार करेंगे. लेकिन अगर हम संतुष्ट नहीं होते तो पुराने नोट रखने के लिए सरकार को आपके खिलाफ कार्रवाई से नहीं रोकेंगे.''
सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर तीन याचिकाएं दाखिल की गयी हैं. इनमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने पिछले साल 8 नवंबर के संबोधन में 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में पैसे जमा होने की बात कही थी. बाद में ये सुविधा सिर्फ एनआरआई और भारत से बाहर गए लोगों तक सीमित कर दी गयी.
याचिका दाखिल करने वाली एक महिला ने गर्भवती होने और इलाज के लिए हस्पताल में होने को 31 दिसंबर तक बैंक न जा पाने की वजह बताया है. एक अन्य महिला ने अपने दिवंगत पति के पैसों की जानकारी न होने को वजह बताया है. तीसरी याचिका एक कंपनी की है. इसमें भी कंपनी के प्रमुख व्यक्ति के बीमार होने का हवाला दिया गया है.
केंद्र सरकार की तरफ से एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इन याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि सभी के पास बैंक में पैसे जमा कराने का काफी मौका था. इस पर याचिकाकर्ताओं ने प्रधानमंत्री के भाषण का हवाला दिया. जवाब में एटॉर्नी जनरल ने कहा कि संबोधन में इस तरह का कोई वादा नहीं किया गया था. वैसे भी संबोधन में कही गयी बात का कानूनी महत्व नहीं है. पीएम के संबोधन के तुरंत बाद नोटिफिकेशन जारी किया गया था.
इसमें साफ लिखा था कि 31 दिसंबर के बाद इजाज़त भारत से बाहर रह रहे लोगों को दी जाएगी. अगर सरकार चाहेगी तो दूसरी श्रेणी पर विचार करेगी. बाद में अध्यादेश और संसद से पास कानून में भी इसे दोहराया गया. एटॉर्नी जनरल ने आगे कहा, "अधिकार सरकार को दिया गया था. उसने किसी और श्रेणी के लोगों को इजाजत नहीं देना ठीक समझा. ऐसे में कानूनन अब खुद सरकार भी किसी व्यक्ति को पैसे जमा करने की इजाज़त नहीं दे सकती."
इस पर चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने हैरानी जताते हुए कहा, "ये तो मनमाना कदम लगता है. आप इस बारे में हलफनामा दाखिल करें कि सरकार ने किसी भी दूसरी श्रेणी के लोगों को इजाज़त नहीं देने का फैसला क्यों लिया."
याचिकाकर्ताओं ने सरकार को जवाब के लिए 2 हफ्ते देने का विरोध करते हुए कहा कि इससे 31 मार्च की मियाद खत्म हो जाएगी. कोर्ट ने कहा कि सरकार का जवाब आने के बाद अगर सही लगा तो उन्हें विशेष इजाज़त दे दी जाएगी. हालांकि, कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि इस मसले पर और किसी अर्ज़ी पर सुनवाई नहीं की जाएगी. मामले पर अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी.