Demonetisation 6 Years: नोटबंदी के 6 साल में कितनी बदली देश की अर्थव्यवस्था, 2016 से अब तक क्या हुए बदलाव, जानें सबकुछ
Demonetisation: नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2016 में 11.26 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 80.4 प्रतिशत हो गई है. कैश सर्कुलेशन भी 71.84 फीसदी बढ़ चुका है.
Six Years Of Demonetisation: आठ नवंबर का दिन देश की अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक खास दिन के तौर पर दर्ज है. साल 2016... रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद करने का एलान कर दिया था. नोटबंदी की घोषणा होते ही आधी रात से इसे लागू भी कर दिया गया. इससे काफी समय तक अफरा-तफरी का माहौल रहा था. कई परेशानियां लोगों को हुईं. कई तरह की परेशानी झेलने के बाद अब सवाल यह उठता है कि आखिर इन 6 सालों में नोटबंदी के बाद क्या सुधार हुआ और नोटबंदी के 6 साल बाद भारत ने पैसे को कैसे संभाला?
नोटबंदी का एलान रात आठ बजे किया गया था. इससे पहले भारत को इसकी भनक तक नहीं थी. महज चार घंटे में यानी 12 बजे से 500 रुपये और 1,000 रुपये को पूरी तरह से अमान्य कर दिया गया. इसका उद्देश्य - काले धन का सफाया करना, नकली नोटों का उन्मूलन और "कम नकदी" वाली अर्थव्यवस्था बनाना था. देश का माहौल बदल गया था. बैंकों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं.
फरवरी 2019 में सरकार ने संसद को बताया कि नोटबंदी की मदद से काले धन में 1.3 लाख करोड़ रुपये की वसूली की गई थी. इस साल मई में आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में 2021-22 में नकली भारतीय मुद्रा नोटों में 10.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. 500 रुपये के नकली नोटों में 101.93 प्रतिशत और नकली 2,000 रुपये के नोटों में 54 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी
नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2016 में 11.26 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 22 में 80.4 प्रतिशत हो गई है और वित्त वर्ष 2027 में 88 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है. वहीं, अक्टूबर में UPI लेनदेन ने 12.11 लाख करोड़ रुपये की नई ऊंचाई को छुआ. अक्टूबर में UPI वॉल्यूम ने 730 करोड़ लेनदेन का रिकॉर्ड बनाया और इस साल पूरे भारत में लगभग 71 बिलियन डिजिटल भुगतान दर्ज किए गए.
कैश सर्कुलेशन में बढ़ोतरी
जनता के पास इसी साल 21 अक्टूबर तक कैश 30.88 लाख करोड़ रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया, जोकि 4 नवंबर, 2016 में 17.7 लाख करोड़ रुपये था. यानी नोटबंदी के बाद से अब तक देश में कैश सर्कुलेशन 71.84 फीसदी बढ़ चुका है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक डिजिटल पेमेंट्स के साथ ही अब भी लोग कैश का ही ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. नोटबंदी के बाद 25 नवंबर 2016 तक देश में महज 9.11 लाख करोड़ रुपये कैश मौजूद था. अब इसमें 239 फीसदी बढ़ोतरी देखी गई है. जबकी पीएम मोदी के इस कदम का मकसद भारत को 'कम नकदी' वाली अर्थव्यवस्था बनाना था.
नोटबंदी पर उठे थे तमाम सवाल
जब नोटबंदी लागू हुई, तो इस फैसले पर बार-बार सवाल उठाए गए. कहा गया कि यह देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगा, हम कई दशक पीछे चले जाएंगे. विपक्ष ने केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर जमकर घेरा था. आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि जो पैसा अमान्य हो गया था उसका 99 प्रतिशत बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गया. काले धन की बरामदगी अब तक हो रही है. पीएम मोदी के इस फैसले ने कुछ अर्थशास्त्रियों को भी चौंका दिया था.
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