नई दिल्ली: नोटबंदी का असर तकरीबन हर वर्ग पर पड़ा है. सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों में से हैं देश के मजदूर शामिल हैं. नोटबंदी से बेरोजगारी बढ़ी है और छोटे-मोटे कारखानों में ताले लग रहे हैं. इसी वजह से मध्य प्रदेश के मजदूर बेहद परेशान हैं.

भोपाल के गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया के कारखानों में मजदूर और कर्मचारी परेशान हैं. दरअसल नोटबंदी के चलते यहां की छोटी-छोटी कंपनियों में मजदूरों को काम से हटाया जा रहा है. कई कंपनियां तो ऐसी हैं जहां ताले पड गए है. गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र की लीला संस में नोट बंदी के बाद कंपनी को काम ना मिलने से मालिक ने कंपनी में ताला जड़ दिया है जिसके चलते मजदूर बेरोजगारी के शिकार हो गए. अब मजदूर कंपनी के बाहर आंदोलन कर रहे है.

एक ज़माने में एमपी की सबसे बड़ी शराब फ़ैकट्री यानी लीला संस में काम करने वाले छत्रपाल सिंह परेशान हैं. बच्चों की परवरिश का संकट है. हताश छत्रपाल अब खुदकुशी की बात करने लगे हैं. प्रदेश में नोट बंदी के चलते पैदा हुई बेरोजगारी की समस्या से विपक्ष को भी एक मुद्दा मिला गया है. लंबी कतारों से लेकर बेरोजगारी तक के हर मुद्दे को कांग्रेस जमकर भुनाने की कोशिश में लगी है.

एमपी में 28 फीसदी मजदूर और कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं. वहीं अगर कंपनियों को तीन वर्गों में बांट दिया जाए तो छोटी कंपनियों में 65 फीसदी, मझोली कंपनियों में 25 फीसदी और बड़ी कंपनियों में 20 फीसदी लोगों की छटनी की गई है.

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