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नोटबंदी: नफे, नुकसान, सरकार-विपक्ष के दावे, जानें 10 प्वाइंट में सबकुछ
500-1000 के 28 लाख नोट वापस आ गए. इसका मतलब हुआ कि सिर्फ 16000 करोड़ रुपये नहीं आए और नोट छापने में 8000 करोड़ रुपये लगा दिए गए.
नई दिल्लीः नोटबंदी पर प्रधानमनंत्री नरेंद्र मोदी के देश के नाम संबोधन, दावे और आशा की कहानी के 9 महीने बाद आरबीआई की सलाना रिपोर्ट सामने आ गई है. रिजर्व बैंक ने ऐलान किया है कि बंद किए गए 500 और 1000 रुपये के करीब-करीब सारे नोट वापस आ गए हैं. रिजर्व बैंक ने भी यह भी कहा है कि नोटों की छपाई में करीब-करीब दुगना खर्च हुआ है.
आइए 10 प्वाइंट में जानते हैं-
नोटबंदी: 8 नवंबर, 2016 से अब तक सबकुछ
- नोटबंदी से पहले 500 और 1000 रुपये के 15.44 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. 15.28 लाख करोड़ के नोट वापस आ गए. यानी 99 फीसदी पुराने नोट वापस आ गए हैं.
- 500-1000 के 15.28 लाख नोट वापस आ गए. इसका मतलब हुआ कि सिर्फ 16000 करोड़ रुपये नहीं आए.
- 2016-17 में नए नोट छापने में 7965 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो पिछले साल 2015-16 के मुकाबले दोगुने थे.
- 2016-17 के दौरान जाली नोट की संख्या 6,32,926 से बढ़कर 7,62,072 हो गयी. यानि 41 करोड़ रुपये जाली नोट बढ़े.
क्या थे सरकार के दावे
- पीएम मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि इससे 1. भ्रष्टाचार 2. कालाधन 3. जाली नोट और 4. आतंकवाद पर लगाम लगेगी.
- अटॉर्नी जनरल ने दिसंबर, 2016 में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की एक सुनवाई में कहा कि नोटबंदी की वजह से 10 से 11 लाख करोड़ रुपये ही वापस आएंगे. यानि 5 लाख करोड़ तक नोटों (कालेधन) की वापसी बैंकिंग सिस्टम में नहीं हो पाएगी.
- काला धन पर मोदी ने 15 अगस्त 2017 को लाल किले के प्राचीर कहा कि नोटबंदी से 3 लाख करोड़ रुपए का कालाधन बैंकों में आया और करीब 1.75 लाख करोड़ रुपए की राशि जांच के घेरे में है. इस आंकड़े का सोर्स नहीं बताया है.
नोटबंदी से क्या हुआ नुकसान
- नोटबंदी के बाद साल की पहली तिमाही में जीडीपी 6.1 फीसदी पर पहुंच गई, जो साल 2014 से सबसे कम थी, क्योंकि बाज़ार में नकदी की भारी कमी थी.
- कारोबार, काम-धंधे और कल-कारखाने की हालत खस्ता हुई. नौकरी गई.
विपक्ष के सवाल
- कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने नोटबंदी के फैसले पीछे रहे शख्स के लिए नोबेल पुरस्कार की वकालत की. चिदंबरम ने कहा कि 16 हजार करोड़ रुपये नहीं आए यानि कमाए, लेकिन नए नोट छापने में 21 हजार करोड़ रुपये खर्च कर दिए. पीएम मोदी को देश से माफी मांगनी चाहिए.
सरकार का तर्क
- बहुत ही मासूम जवाब है- रिजर्व बैंक के आंकड़ों के गलत मायने निकाले जा रहे हैं.
मासूम सवाल- मौतों का जिम्मेदार कौन?
- नोटबंदी के कारण 104 लोगों की मौत हो गई. जब जाली नोट नहीं, कालाधन वापस नहीं आया. भ्रष्टाचार और आतंकवाद नहीं रुका तो आखिर इसका जिम्मेदार कौन है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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