भारतीय नेवी के स्वदेशी एयरक्राफ्ट INS विक्रांत के लिए लड़ाकू विमानों की तलाश शुरू, राफेल पहुंचा गोवा के हंस बेस
INS Hansa: दिसंबर 2020 में अमेरिकी कंपनी बोइंग ने भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए सुपर होरनेट के एडवांस ब्लॉक-3 फाइटर जेट बनाने का दावा किया था.
Aircraft Carrier INS Vikrant: भारतीय नौसेना के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत के लिए लड़ाकू विमानों की तलाश शुरू हो गई है. इसी कड़ी में फ्रांस की दासो (दसोल्ट) कंपनी का राफेल (मरीन) लड़ाकू विमान नौसेना के गोवा स्थित आईएनएस हंस बेस पहुंच गया है. यहां सोर बेस्ड ट्रायल फैसेलिटी (SBTF) पर राफेल (Rafael) का ट्रायल किया जाएगा. इसके बाद मार्च के महीने में अमेरिका का एफ/ए-18 (F-18) सुपर होरनेट भी ट्रायल के लिए भारत आएगा. ट्रायल पूरा होने के बाद तय किया जाएगा कि कौन सा फाइटर जेट लिया जाएगा.
स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत है आईएनएस विक्रांत
भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत, आईएनएस विक्रांत के इस साल नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने की पूरी संभावना है. ऐसे में विक्रांत पर तैनात करने के लिए विदेशी फाइटर जेट्स की खोज शुरू हो गई है. इसी कड़ी में दुनिया की दो बड़ी एविएशन कंपनी, फ्रांस की दासो और अमेरिका की बोइंग ने भारत को अपने अपने फाइटर जेट ऑफर किए हैं. दासो का राफेल (मरीन) है तो बोइंग का एफ/ए-18 सुपर होरनेट. सूत्रों के मुताबिक, ये फाइटर जेट बनानी वाली कंपनियों के ट्रायल हैं.
विमानों की खरीद के लिए होगा इंटर-गर्वमेंटल एग्रीमेंट
वर्ष 2017 में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए 57 फाइटर जेट की आरएफआई यानि रिक्यूस्ट फॉर इंफोर्मेशन जारी की थी. उसी के तहत दासो और बोइंग ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया है. लेकिन पहली बार रक्षा मंत्रालय ने टेंडर प्रक्रिया के दूसरे चरण आरएफपी यानी रिक्यूस्ट फॉर प्रपोजल के बजाए ट्रायल पहले शुरू कर दिया है.
हालांकि, पहले इस तरह की आर्म्स डील में ट्रायल पहले होते थे. सूत्रों के मुताबिक, वायुसेना के 36 राफेल लड़ाकू विमानों की तरह ही नौसेना के लिए भी इंटर-गर्वमेंटल एग्रीमेंट (आईजीए) सौदा होगा. यानि कंपनी से सौदेबाजी की बजाए दो देशों की सरकारों के बीच डील होगी.
स्की-जंप तकनीक पर बने हैं भारत के एयरक्राफ्ट करियर
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका और फ्रांस दोनों ही देशों के एयरक्राफ्ट कैरियर 'कैटापुल्ट' तकनीक पर आधारित हैं. जबकि भारतीय विमानवाहक युद्धपोत रूस की तरह स्टोबार’ यानि शॉर्ट टेकऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी तकनीक इस्तेमाल करती हैं जिसे स्की-जंप भी कहा जाता है. ऐसे में अमेरिका और फ्रांस दोनों ही देशों की कंपनियां अपने अपने लड़ाकू विमानों की क्षमता परीक्षण के लिए गोवा पहुंच रही हैं.
आईएनएस हंस बेस पर होगा सुपर होरनेट का ट्रायल
मार्च के महीने में सुपर होरनेट का ट्रायल गोवा स्थित आईएनएस हंस बेस पर होगा हालांकि दिसम्बर 2020 में अमेरिका कंपनी बोइंग ने भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए सुपर होरनेट के एडवांस ब्लॉक-3 फाइटर जेट बनाने का दावा किया था. अमेरिकी नौसेना की मदद से बोइंग ने एफ-ए/18 सुपर होर्नेट भारत के मानकों (स्की जंप) पर परीक्षण करने का दावा किया था.
डबल-इंजन फाइटर जेट है नौसेना की प्राथमिकता
आपको बता दें कि भारतीय नौसेना अपने एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य के लिए रूसी फाइटर जेट, मिग-29के का इस्तेमाल करती है. इसके अलावा डीआरडीओ और एचएएल कैरियर बेस्ड एलसीए (नेवी) भी बना चुकी है. लेकिन ये एक सिंगल इंजन फाइटर जेट है. हालांकि, इसका परीक्षण पूरा हो चुका है लेकिन नौसेना डबल-इंजन फाइटर जेट के लिए जोर दे रही है.
यही वजह है कि एचएएस अब टूइन इंजन डेक बेस्ड यानि टीईडीबीएफ जेट के निर्माण में जुट गई है. हालांकि, अभी टीईडीबीएफ का डिजाइन तैयार हुआ है और इसके बनने में कई साल लग सकते हैं. यही वजह है कि भारतीय नौसेना राफेल (मरीन) और सुपर होरनेट जैसे टूइन इंजन फाइटर जेट को विकल्प के तौर पर देख रही है.