नई दिल्ली: शाहीन बाग के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि प्रदर्शन करने का अधिकार सभी को है लेकिन उस प्रदर्शन से लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए और प्रदर्शन अनिश्चितकालीन नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हा ने प्रदर्शनकारियों को लेकर बयान देते हुए कहा कि जिस राजनीतिक मकसद से दिल्ली चुनावों से पहले उन को बैठाया गया था वह राजनीतिक मकसद पूरा हो गया है लिहाजा अब उनको उठ जाना चाहिए.


शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को बैठाने का चुनावी मकसद हुआ पूरा- जीवीएल

 बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हा ने कहा कि शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों को अब खुद ही उठ जाना चाहिए वरना सुप्रीम कोर्ट आदेश देगा तो फिर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जीवीएल ने कहा कि अभी तक पुलिस ने कार्रवाई इसलिए नहीं की क्योंकि पुलिस आचार संहिता लगने के बाद से ही चुनाव आयोग के अधीन आकर काम करने लगती है. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद अब पुलिस चुनाव आयोग के अधीन नहीं रहेगी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाया जाएगा. जीवीएल ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को वहां किसने बैठाया था यह बताने की जरूरत नहीं और अब चुनाव खत्म हो चुका है ऐसे में इन लोगों को खुद ही वहां से हट जाना चाहिए और जिन लोगों ने इनको वहां बैठाया था उनको भी इनको यहां से हटाना चाहिए.


दिल्ली चुनावों में है मुद्दा बना शाहीन बाग

 गौरतलब है कि शाहीन बाग का मुद्दा दिल्ली चुनावों में एक अहम मुद्दा बन गया था. जिसको लेकर जमकर बयानबाजी भी हुई थी यहां तक कि बीजेपी के कई नेताओं ने शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों के लिए पाकिस्तानी मानसिकता वाले जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी किया था. इसके साथ ही शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों को आम आदमी पार्टी के नेताओं के समर्थन होने का आरोप भी लगाया गया था.


15 दिसंबर के बाद से ही प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़क बंद कर रखी है

 गौरतलब है कि दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर का विरोध करते हुए 15 दिसंबर के बाद से ही बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सरिता विहार से कॉलोनी को जाने वाले रास्ते के बीच में बैठे हैं. जिसके चलते हर रोज लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसी का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट से पहले हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वह कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई करे. लेकिन जब कार्रवाई नहीं हुई तो उसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है.


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