(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Dengue Research: डेंगू का पहला वार ही हो सकता है घातक, 619 बच्चों पर की गई रिसर्च ने चौंकाया
Study On Dengue: भारतीय शोधकर्ताओं की ओर से की गई रिसर्च से डेंगू के लिए वैक्सीन बनाने में भी मदद मिल सकती है. इस स्टडी के नतीजे नेचर मेडिसिन जनरल में पब्लिश हुए हैं.
Research On Dengue: डेंगू को लेकर एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. भारतीय शोधकर्ताओं को एक नए अध्ययन में इस बात के सबूत मिले हैं कि डेंगू का पहला ही संक्रमण घातक हो सकता है. इससे पहले कहा जाता था कि डेंगू का दूसरा या इसके बाद का संक्रमण गंभीर या जानलेवा स्थिति पैदा होती है लेकिन इस स्टडी ने शोधकर्ताओं को भी चौंका दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये रिसर्च जेनेटिक इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (आईसीजीईबी), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर और अमेरिकी राज्य जॉर्जिया में अटलांटा के एमोरी विश्वविद्यालय के सहयोग से हुई है. इसके निष्कर्ष हाल ही में नेचर मेडिसिन जर्नल में पब्लिश हुए हैं.
619 बच्चों पर की रिसर्च
इस रिसर्च में तीन अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती 619 बच्चों पर स्टडी की गई. जिसमें पाया गया कि प्राइमरी डेंगू इन्फेक्शन कुल क्लीनिकल केस (619 में से 344), गंभीर मामलों में (202 में 112) और मृत्यु दर (7 में से 5) के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है. रिसर्च में जो नतीजे सामने आए हैं वो डेंगू वैक्सीन रिसर्च और इसके ट्रीटमेंट के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
आईसीजीईबी के एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं में से एक डॉ. अनमोल चंदेले ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “इस अध्ययन के नतीजों का मतलब है कि प्राथमिक संक्रमणों को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इसका वैश्विक महत्व भी है क्योंकि दुनिया भर में डेंगू वायरस का विस्तार होने की उम्मीद है और अधिक बच्चों के साथ-साथ डेंगू से पीड़ित लोगों को आखिरकार डेंगू संक्रमण, गंभीर बीमारी और मृत्यु के खतरे का सामना करना पड़ सकता है.”
भारत में पैर पसारता डेंगू
पिछले दो दशकों में भारत में डेंगू का संक्रमण बहुत बढ़ गया है. केंद्र सरकार के नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के डेटा से पता चलता है कि पिछले तीन सालों में, 5.20 लाख से अधिक डेंगू के मामले और 740 मौतें हुईं. 2021 में 1,93,245 मामले और 346 मौतें, 2022 में 2,33,251 मामले और 303 मौतें और 2023 में 94,198 मामले और 91 मौतें हुईं.
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