Puja Khedkar Row: महाराष्ट्र कैडर की पूर्व ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर के विवाद के बाद सोशल मीडिया पर कई IAS अधिकारियों के मेडिकल सर्टिफिकेट वायरल हो रहे हैं. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की ओर से अब इन 6 अफसरों के सर्टिफिकेट भी जांच के घेरे में आ गए हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्मिक विभाग ने 6 अन्य अफसरों के मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच शुरु कर दी हैष जिनमें प्रोबेशनर और सेवारत अधिकारी भी शामिल हैं.


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटनाक्रम उस विवाद के बाद सामने आया है जब पूर्व आईएएस पूजा खेडकर ने चयन के लिए झूठे विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सर्टिफिकेट जमा किए थे. बताया जा रहा है कि जिन 6 अफसरों के मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच होनी हैं. उन 6 अफसरों के मेडिकल प्रमाणपत्र सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए थे. ऐसे में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक को पत्र लिखकर अभ्यर्थियों की विकलांगता स्थिति की मेडिकल बोर्ड से दोबारा जांच करने के निर्देश दिए हैं.


परीक्षा देने पर भी UPSC ने लगाई रोक


यूपीएससी के मुताबिक, पूर्व आईएएस पूजा खेडकर पर फर्जीवाड़े के आरोप लगने के बाद यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन ने उनकी नियुक्ति रद्द कर दी है. यूपीएससी ने ना सिर्फ उनकी उम्मीदवारी रद्द की, बल्कि आगे भी उसके किसी भी परीक्षा या चयन में शामिल होने पर रोक लगा दी है.


पूजा खेडकर ने नियमों का किया उल्लंघन- UPSC


यूपीएसपी का कहना है कि पूजा खेडकर ने न सिर्फ अपना बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था. साथ ही तस्वीर/हस्ताक्षर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर अपनी फर्जी पहचान बनाकर परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से अधिक प्रयास का धोखाधड़ी से लाभ उठाया. यूपीएससी ने कहा है कि सभी रिकॉर्ड की जांच के बाद ये सामने आया कि पूजा खेडकर ने CSE-2022 नियमों का उल्लंघन किया है.


 UPSC ने पूजा खेडकर को जारी किया था नोटिस


यूपीएससी ने बीते 18 जुलाई को पूजा खेडकर को इस मामले के चलते कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें उनसे पूछा गया था कि उन्होंने कैसे फर्जी तरीके से अपनी पहचान बदल कर लिमिट से ज्यादा बार यूपीएससी की परीक्षाओं में हिस्सा लिया? इसके लिए पूजा खेडकर को 25 जुलाई तक का समय दिया गया था. मगर, पूजा ने 4 अगस्त तक का वक्त मांगा था.


जिस पर यूपीएससी ने उन्हें 30 जुलाई की दोपहर तक का समय दिया था. लेकिन इसके बावजूद पूजा अपना पक्ष रखने के लिए सामने नहीं आई. जिसके बाद यूपीएससी ने उनकी नियुक्ति ही रद्द कर दी.


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