कश्मीर: रक्षा बंधन के मौके पर एबीपी न्यूज आज आपके लिए पाकिस्तान से सटी एक खास रिपोर्ट लेकर आया है. ये रिपोर्ट है सरहद पर तैनात महिला-जवानों की. भारतीय सेना ने पहली बार एलओसी के करीब महिला-जवानों को इलाके की सुरक्षा में तैनात किया है. भारतीय सेना के इतिहास में ये पहली बार हुआ है कि महिलाओं को जवानों के स्तर पर तैनात किया गया है और वो भी कश्मीर में एलओसी से सटे इलाकों में.
एलओसी के बेहद करीब साधना-टॉप पर दस हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेना की एक महिला-अफसर के नेतृत्व में आधा दर्जन महिला जवान एलओसी की तरफ जा रही सड़क की रखवाली में तैनात हैं. ये महिला जवान असम राईफल्स की हैं और डेप्युटेशन पर भारतीय सेना में आई हैं. भारतीय सेना में इनकी पहली तैनाती कश्मीर के सबसे संवदेनशील माने जाने वाले तंगधार सेक्टर के साधना-टॉप पर हुई है.
महिला दल का नेतृत्व कर रहीं कैप्टन गुरसिमरन कौर अपने परिवार की थर्ड जेनेरेशन महिला सैन्य अफसर हैं. उनके पिता और दादा भी सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. सेना की आर्मी सर्विस कोर यानी एएससी की अधिकारी, कैप्टन गुरसिमरन अपनी साथी महिला जवानों के साथ यहां ड्यूटी पर तैनात हैं.
आपको बता दें कि भारतीय सेना में महिलाएं सैन्य अफसर के तौर पर तो करीब दो दशक से कार्यरत हैं, लेकिन जवान के पद पर अभी तक नहीं हैं. पिछले साल यानी दिसम्बर 2019 में पहली बार महिलाओं की जवान के पद पर सेना में भर्ती हुई थी, लेकिन वे महिला-कैडेट, सेना की मिलिट्री-पुलिस में भर्ती हुई थीं और अभी बेंगलुरू में ट्रेनिंग ले रही हैं. उन महिला-कैडेट्स की तैनाती से पहले ही सेना ने, पैरा-मिलिट्री फोर्स, असम राईफल्स की महिला जवानों को कश्मीर में एलओसी पर तैनात कर दिया है.
तंगधार में एलओसी की सुरक्षा में तैनात भारतीय सेना की वज्र डिवीजन (28 इंफेंट्री डिवीजन) के जीओसी, मेजर जनरल ए डी एस औजला ने एबीपी न्यूज को बताया कि एलओसी से ड्रग्स और हथियारों की स्मगलिंग की बहुत खबरें आ रही थीं. खुफिया रिपोर्ट्स से इस बात का खुलासा हुआ था कि एलओसी पर इस स्मगलिंग में महिलाएं शामिल रहती हैं, लेकिन सेना के पास महिला जवानों की कमी के चलते, इन संदिग्ध महिलाओं की फ्रिसकिंग यानि चेकिंग करने में मुश्किलें आती थीं, यही वजह है कि महिला-जवानों को असम राईफल्स से लाकर यहां तैनात किया गया है.
इन महिला जवानों की तैनाती एक तरह से उनके कॉम्बेट रोल यानि युद्धों के रोल में भी निकट भविष्य की तैयारी है. मेजर जनरल औजला के मुताबिक, ये महिलाएं ऑप्स-एरिया ऐसे में उनकी तैनाती बेहद महत्वपूर्ण है. यानि ये महिला पलटन ऐसे इलाके में है जो एलओसी से सटा हुआ तो है ही यहां आतंकी भी घुसपैठ करके आ सकते हैं.
जानकारी के मुताबिक, इस महिला प्लाटून की तैनाती थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के आदेश पर की गई है, ताकि सेना में महिलाओं की भागीदारी सुनश्चित की जा सके. साथ ही कश्मीर में जो भी ऑपरेशन्स हों वे अवाम (जनता) को ध्यान में रखकर किए जा सकें.
जिस साधना-टॉप पर ये महिला-प्लाटून तैनात है, इसका अपना स्वर्णिम इतिहास रहा है. पाकिस्तान से 1965 की जंग में सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए खुद बॉलीवुड की जानी मानी अभिनेत्री, साधना यहां आई थीं. तभी से इस जगह का नाम साधना पोस्ट है. बताया जाता है कि युद्ध से पहले साधना ने कश्मीर में एक फिल्म की शूटिंग की थी. उनकी याद में आज भी इस जगह पर साधना की तस्वीरें टंगी हैं.
दरअसल, लंबे समय से असम राईफल्स की तैनाती म्यांमार सीमा और उत्तर-पूर्व के उग्रवाद-ग्रस्त राज्यों में रही है और महिलाएं भी जवान के पद पर कई सालों से कार्यरत हैं. ऐसे में भारतीय सेना ने एक ट्रायल के तौर पर इन महिला जवानों को एलओसी पर तैनात किया है. आपको यहां पर ये भी बता दें कि असम राईफल्स में सभी जवान अपने कैडर के होते हैं यानि असम राईफल्स में सीधे भर्ती होते हैं, लेकिन अधिकारी डेप्युटेशन पर भारतीय सेना से ही जाते हैं.
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