राहुल-अखिलेश और महुआ के बाद इस TMC नेता का दावा- असाधारण हैं हालात, रख दी 2 बड़ी चीजों की मांग
Hindenburg Research: टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि 4 जून, 2024 से पहले संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन निरर्थक होता, क्योंकि, बीजेपी ने संसद को किस तरह से कमजोर कर दिया था.
Derek O Brien On Hindenburg Research: मार्केट रेगुलेटर सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर आई अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट को लेकर रविवार (11 अगस्त, 2024) को राजनीतिक सरगर्मियां तेज नजर आईं. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सपा चीफ अखिलेश यादव, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और लेफ्ट पार्टियों के लीडर्स के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा, "यह स्थिति असाधारण है. संसद में बीजेपी साफ तौर पर बैकफुट पर है. हमें दोनों की जरूरत है जेपीसी की भी और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली जांच की भी."
डेरेक ओ ब्रायन के मुताबिक, टीएमसी ने सच्चाई को उजागर करने के लिए लगभग हमेशा सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली जांच के विकल्प को प्राथमिकता दी है, जिसमें एक बड़ी बेंच शामिल है. इसका कारण यह है कि 4 जून, 2024 से पहले संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन निरर्थक होता क्योंकि बीजेपी ने संसद को किस तरह से कमजोर कर दिया था पर यह स्थिति असाधारण है.
कांग्रेस MP राहुल गांधी ने चेताया- स्टॉक मार्केट पर...
लोकसभा में विपक्ष के नेता और यूपी के रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रविवार को दावा किया कि सेबी अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों से संस्था की शुचिता के साथ ‘‘गंभीर समझौता’’ हुआ है. उन्होंने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट मामले पर फिर खुद संज्ञान लेगा? राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर किए एक पोस्ट में कहा, "देश भर के ईमानदार निवेशकों के मन में सरकार के लिए कई सवाल हैं. सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? अगर निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूब जाती है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सेबी अध्यक्ष या गौतम अडाणी?"
मुद्दा गर्माया तो बोले वाम दलों- JPC गठित करो!
वाम दलों ने माधवी बुच पर लगे आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन करने की रविवार को मांग की. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बयान में कहा, "सेबी प्रमुख के खिलाफ गंभीर आरोपों को देखते हुए यह जरूरी है कि उचित जांच होने तक वह अध्यक्ष पद से हट जाएं. माकपा पोलित ब्यूरो मांग दोहराता है कि अदाणी समूह के शेयर में हेरफेर के पूरे मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित की जानी चाहिए."
Hindenburg Research ने SEBI पर क्या खुलासा किया?
दरअसल, यूएस शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार (10 अगस्त, 2024) को बाजार नियामक सेबी चेयरमैन माधवी बुच को लेकर बड़ा दावा किया था. हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास कथित अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी. हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी को लेकर पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद एक ब्लॉग पोस्ट में आरोप लगाया, “सेबी ने अदाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है.” शॉर्ट-सेलर ने “व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों” का हवाला दिया और आगे बताया, “सेबी प्रमुख माधवी बुच और उनके पति के पास अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी.”
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