नई दिल्लीः इस साल के आखिर में राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने है. राज्य में बीजेपी की सरकार है और वसुंधरा राजे सिंधिया सूबे की मुख्यमंत्री हैं. राजस्थान का राजनीतिक इतिहास है कि यहां सत्ता एक कार्यकाल के बाद दूसरी पार्टी की गोद में जाती रही है. जनता का मूड देखें तो कुछ ऐसे ही संकेत सर्वे से आ रहे हैं.
इस साल के अंत में चुनाव होने हैं और उससे पहले राजस्थान का मूड भांपने के लिए एबीपी न्यूज ने लोकनीति-सीएसडीएस के साथ सर्वे किया है. सर्वे में सामने आए आंकड़े बीजेपी के लिए चिंता खड़ी करने वाले हैं.
2018 में क्या हो सकता है राजस्थान का गणित ?
सर्वे के मुताबिक राजस्थान में अभी विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस वोट शेयर के मामले में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है. कांग्रेस 44 फीसदी वोट शेयर के साथ नंबर वन पार्टी बन सकती है वहीं बीजेपी 39 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे नंबर की पार्टी बन सकती है. कांग्रेस और बीजेपी के वोट शेयर में बड़ा अंतर सामने आ सकता है. वहीं अन्य के खाते में 13 फीसदी वोट शेयर जा सकते हैं. इन आंकड़ों की अगर 2013 में हुए विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो बीजेपी को इसबार छह फीसदी के वोट शेयर का नुकसान हो रहा है तो वहीं कांग्रेस को लगभग 11% वोट शेयर का बड़ा फायदा हो रहा है. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 45 फीसदी और कांग्रेस का वोट शेयर 33 फीसदी था.
इस साल फरवरी में राज्स्थान में हुए उपचुनाव नतीजों ने कांग्रेस के सत्ता में वापसी के संकेत दिए. अजमेर , अवलर सीट पर हुए लोकसभा उपचुनाव और मांडलगढ़ सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी और सचिन पायलट के नेत़त्व में राजस्थान कांग्रेस ने इस साल की शुरुआत बेहतर तरीके से की.
बीजेपी के लिए साल 2018 बेहद अहम और परीक्षा का साल रहा है और आगे भी होने वाला है. इस साल बीजेपी ने गुजरात की सत्ता में वापसी की तो वहीं त्रिपुरा में लेफ्ट के दशकों के शासन को उखाड़ फेंका और पहली बार सत्ता में आई. लेकिन आने वाले राजस्थान और मध्य प्रदेश चुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई साबित होने वाली है.
ये सर्वे 27 अप्रैल से 17 मई 2018 के बीच किया गया है. इसमें 19 राज्यों के 175 लोकसभा सीटों को शामिल किया गया है.
कैसे हुआ सर्वे?- मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर एबीपी न्यूज़ ने CSDS-लोकनीति के साथ देश का मूड जानने की कोशिश की है. ये सर्वे 28 अप्रैल 2018 से 17 मई 2018 के बीच किया गया, 19 राज्यों में 700 जगहों की 175 लोकसभा सीटों पर जाकर 15859 लोगों की राय ली गई.