Mudhol Hound: देश के वीवीआईपी सुरक्षा में कुत्तों पर हमेशा से भरोसा किया गया है. कुत्तों के सूंघने की क्षमता और समझदारी का कोई सानी नहीं होता, यही वजह है कि भारतीय सेना से लेकर स्पेशल फोर्सेज में इन्हें शामिल किया जाता है. अब तक देश की सुरक्षा में अब तक लेब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, ग्रेट स्विस माउंटेन, बेल्जियम मेलोनॉइज कुत्ते तैनात थे, लेकिन अब देसी नस्ल के मुधोल हाउंड को भी इसमें शामिल कर लिया गया है. मुधोल हाउंड उत्कृष्ट शिकारी कुत्ते माने जाते हैं. शिकारी गुण और चुस्ती की वजह से ही फरवरी 2016 में पहली बार इन्हें भारतीय सेना के ट्रेनिंग सेंटर में रखा गया था. 


बीएसएफ दे रही ट्रेनिंग
दरअसल, ग्वालियर की बीएसएफ अकादमी स्थित नेशनल डॉग ट्रेनिंग सेंटर ने देसी कुत्तों का प्रशिक्षण शुरू किया गया है. यहां दक्षिण भारत की नस्ल मुधोल हाउंड और उत्तर भारत की नस्ल रामपुर हाउंड के कुत्तों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमें मुधोल हाउंड को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा में तैनात एजेंसी 'एसपीजी' में शामिल करने का प्रस्ताव है. मुधोल हाउंड को सुरक्षा की दृष्टि से हर पैमाने पर बीएसएफ ट्रेनिंग दे रही है. पीएम नरेंद्र मोदी ने जब वोकल फॉर लोकल का आह्वान किया तो यहां देसी नस्ल के कुत्तों का प्रशिक्षण शुरू हुआ, जिसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं. 


चेहरे की बनावट देती है 360 डिग्री देखने की काबिलियत
देसी मुधोल हाउंड शानदार शिकारी कुत्ते माने जाते हैं. इनकी लंबाई 72 सेंटीमीटर तक होती है, वहीं वजन 20 से 22 किलोग्राम तक होता है. इन कुत्तों की आंखें, लंबी टांगें, वक्षीय क्षेत्र और पेट एक पतले थूथन के साथ लंबी खोपड़ी होती है. इसी कारण इस कुत्तों में 360 डिग्री तक देखने की गजब की काबिलियत होती है. जबकि विदेशी नस्ल के मुधोल हाउंड कुत्तों की तुलना में यह देसी हाउंड ज्यादा फुर्तीले होते हैं. इसके शिकारी गुण और चुस्ती और फुर्ती को देखते हुए 2016 में पहली बार इन्हें भारतीय सेना में शामिल किया गया था. मुधोल हाउंड के ट्रेनर डीके साहू ने मीडिया को बताया था कि शुरु में इन कुत्तों को बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है. वहीं इसके बाद ही इनकी असली ट्रेनिंग शुरू होती है जो 36 हफ्ते की होती है. 




कर्नाटक के बागलकोट में पाए जाते हैं मुधोल
देसी मुधोल हाउंड कुत्तो का इतिहास काफी पुराना है. यह दक्षिण भारतीय नस्ल का कुत्ता है. इसको मुधोल नाम 'मुधोल रियासत' से मिला है. कर्नाटक के बागलकोट नाम की जगह पर मुधोल रियासत थी. मुधोल रियासत के शासकों ने इन मुधोल कुत्तों को पाला था. राजसाहेब मालोजीराव घोरपड़े को इस विशेष नस्ल को जीवित रखने का श्रेय दिया गया है. अंग्रेज इस नस्ल को कारवां हाउंड भी कहते थे, क्योंकि यह स्थानीय लोगों के साथ कारवां (जत्था) में जाते थे. 1937 तक मुधोल रियासत पर राज करने वाले अंतिम शासक मालोजीराव घोरपड़े ने मुधोल की एक जोड़ी किंग जॉर्ज पंचम को उपहार स्वरूप भेंट की थी. जॉर्ज पंचम ने ही इस कुत्ते का नाम मुधोल हाउंड रखा था.  


शिवाजी की सेना में मुधोल हाउंड
मुधोल हाउंड के बारे में दिलचस्प कहानियों में से एक सबसे प्रचलित है कि ये शानदार कुत्ते मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी की सेना में शामिल थे. दक्षिण भारत में मुधोल हाउंड के बहादुरी के किस्से अक्सर सुनने को मिल जाते हैं.


आंखों के इशारे से टारगेट पर हमला करता है मुधोल 
सीनियर ट्रेनर कर्नल जयविंदर सिंह के मुताबिक, यह देसी कुत्ता इनता काबिल है कि ट्रेनर की आंखों को पढ़कर और इशारों को देखकर अपने मिशन पर लग जाता है. मुधोल हाउंड एक बार अपने कमांडिंग ऑफिसर का इशारा मिलते ही फौरन टारगेट पर वॉर कर देता है.    


मुधोल हाउंड की 5 खूबियां, जिनकी वजह से एसपीजी ने अपने बेड़े में शामिल किया है. ये 5 खूबियां ही मुधोल को बाकी के अन्य कुत्तों से अलग करती है. 



  • मुधोल हाउंड 360 डिग्री तक देख सकता है. ये किसी भी दुसरे कुत्ते से बेहतर देख सकता है. मुधोल के एसपीजी में शामिल होने की एक वजह ये है. 

  • किसी भी कुत्ते से ज्यादा सूंघने की क्षमता मुधोल को बेजाड़ बनाती है. इस वजह से ये मिगरानी और चौकसी के मामले में शानदार है. 

  • मुधोल दूसरे कुत्तों की तुलना में कम थकता है, बीमार कम पड़ता है. 

  • मुधोल हाउंड किसी भी मौसम में अपना क्षत प्रतिशत दे सकता है. इसकी शरीर हर मौसम के हिसाब से अपने को ढाल लेता है, जबकि अन्य दूसरे कुत्ते ऐसा नहीं कर पाते. 

  • मुधोल किसी दूसरे देसी नस्त ले कुत्ते की तुलना में ज्यादा ईमानदार और बहादुर होता है. 




20 फीट ऊंचाई पर लगाई छलांग
इस 15 अगस्त को देश ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाया है. इसके उपलक्ष्य में मध्य प्रदेस के ग्वालियर में मुधोल हाउंड ने खूब करतब दिखाए. मुधोल हाउंड के ट्रेंड कुत्तों ने ग्वालियर में 15 अगस्त के समारोह में 20 फीट ऊंचाई पर बंधे बॉल को एक छलांग में मुंह में दबोच लेने का करतब दिखाया था. इस दौरान वहां मौजूद लोगों मुधोल की छलांग देखकर हौरान हो गए थे. वहीं एक्सपर्टस् का कहना है कि यह कुत्ता हल्की आवाज सुनकर भी 300 मीटर दूर होने पर भी गले में रिसीवर के माध्यम से कमांड को सुन सकता है. कुल मिलाकर मुधोल हाउंड देसी नस्ल का एक जांबाज और हर कसौटी पर खरा उतरने वाला कुत्ता है. 


फिलहाल इस समय देश की सुरक्षा में मुधोल हाउंड को तीन उद्धेश्यों से शामिल किया गया है. 



  • एयरफोर्स मुधोल हाउंड की तेज गति से दौड़ने की फुर्ती के कारण शामिल किया है. दरअसल, इन्हें रनवे पर पक्षियों और विस्फोटकों से सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है.   

  • विस्फोटक की तलाश करने के लिए किसी भी सर्च ऑपरेशन के दौरान. 

  • किसी भी काउंटर इमरजेंसी के दौरान मुधोल हाउंड शानदार डॉग है.


अबतक वीवीआइपी सुरक्षा दस्ते के लिए सुरक्षा एजेंसियां विदेशी नस्ल के कुत्ते जिनमें जर्मन शेफर्ड और लेब्राडोर को ही प्रथमिकता देती रही हैं. लेकिन अब स्पेशल ट्रेनिंग के बाद देसी मुधोल हाउंड ने सेना से लेकर सुरक्षा एजेंसियों के दस्ते में अपनी जगह बनाने में कामयाबी हासिल की है.  


कितनी है होती है इनकी कीमत (Mudhol Hound Price)
मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्ते एक तरह से सैनिक की तरह होते हैं. किसी भी मौसम और परिस्थिति का इन पर कोई खास असर नहीं होता है. और ये बीमार भी बहुत कम होते हैं. वेबसाइट indianpets में इनकी कीमत के बारे में बताया गया है. इस ब्रीड का डॉग 8 से 15 हजार रूपये के बीच में मिलता है. हालांकि इसकी कीमत शहर के हिसाब से कम ज्यादा भी हो सकती है.