सख्त कानूनों के बाद भी दलितों के साथ अपराध, जानिए किस राज्य में हुआ सबसे ज्यादा क्राइम?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने साल 2021 में दलितों के साथ हो रहे अपराध को लेकर एक डाटा जारी किया था. जिसके अनुसार मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा दलितों के साथ अपराध हो रहे हैं.
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश में दलितों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. फिर चाहे वह इंदौर में दलितों को बंधक बनाकर घंटों पिटाई करने का मामला हो या शिवपुरी जिले का मैला खिलाने का मामला.
इन वीडियो ने न सिर्फ मानवता को शर्मसार किया है बल्कि आजादी के इतने सालों बाद भी भारत में दलितों के साथ हो रहे भेदभाव पर एक तीखी बहस छेड़ दी है.
अब ताजा मामला छतरपुर जिले के महाराजपुर थाना इलाके का है. यहां के विकोरा गांव के एक बुजुर्ग को गिरफ्तार किया गया. आरोप है कि उसने एक दलित युवक के शरीर और मुंह पर मैला फेंका. अब इस मामले को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी शिवराज सरकार को घेरा है.
उन्होंने छतरपुर में दलित के चेहरे और शरीर पर मल फेकें जाने पर बीते सोमवार को ट्वीट करते हुए लिखा, 'बीजेपी का 'सबका साथ' केवल विज्ञापनों में सिमटकर एक दिखावटी नारा और पीआर स्टंट बनकर रह गया है. बीजेपी हर दिन बाबासाहेब अंबेडकर जी के सामाजिक न्याय के सपने को चूर-चूर कर रही है.'
उन्होंने आगे कहा था, "मध्यप्रदेश में एक महीने में दलित-आदिवासी अत्याचार की दूसरी बेहद निंदनीय और पीड़ादायक वारदात हुई है, जो मानवता को शर्मसार करने वाली है. एनसीआरबी रिपोर्ट 2021 के मुताबिक बीजेपी शासित मध्यप्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराधों का रेट सबसे ज्यादा है. आदिवासियों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध हुआ हैं, हर दिन 7 से ज्यादा अपराध हुए. मध्यप्रदेश के हमारे दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के नागरिक दशकों से भाजपाई कुशासन में अपमान का घूंट पी रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने साल 2021 में दलितों के साथ हो रहे अपराध को लेकर एक डाटा जारी किया था. जिसके अनुसार अनुसूचित जाति के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध होने वाले राज्यों की लिस्ट में पहले स्थान पर मध्यप्रदेश है. 2020 के डाटा के अनुसार भी मध्यप्रदेश ही पहले स्थान पर था. जबकि 2019 में दलितों के साथ सबसे ज्यादा अपराध किए जाने वाले राज्यों की लिस्ट में पहले स्थान पर राजस्थान था और मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर.
आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में साल 2018 से लेकर साल 2021 के बीच दलितों पर हुए अपराधों के दर्ज मामलों को देखें तो इन तीन सालों में 51.7% मामलों की वृद्धि हुई है. प्रदेश में एक लाख आबादी पर 63 से ज्यादा अपराध अनुसूचित जातियों पर हो रहे हैं.
चार्जशीट फाइल करने में अन्य राज्यों से आगे
हालांकि मध्यप्रदेश में चार्जशीट फाइल करने की दर देश के बाकी राज्यों के मुकाबले ज्यादा है. ये इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि भले ही मध्यप्रदेश इस तरह के अपराधों को रोकने के मामले में नाकामयाब रही हो लेकिन चार्जशीट तैयार कर इसे कोर्ट में पेश किया गया है जो कि अन्य राज्यों की पुलिस नहीं कर पाई है.
किस तरह के अपराध के आधार पर तैयार किया गया है ये डाटा
इस डाटा में अनुसूचित जाति के खिलाफ किए गए सभी अपराध/अत्याचार शामिल हैं, न कि केवल वे अपराध जो एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज किए गए थे. हालांकि दोनों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है.
साल 2021 में भारत में अनुसूचित जाति के खिलाफ 50,900 अपराध की घटनाएं हुईं थी. जबकि केवल मध्य प्रदेश में 7,214 दलितों के साथ अपराध की घटना हुई. वहीं एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के दलितो के साथ हुए अपराधों की संख्या देखें तो देश भर में में 45,610 और मध्य प्रदेश में 7,211 घटनाएं हुई थी.
क्या है एससी-एसटी अधिनियम
भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग को सालों से अत्याचार का सामना कर रहे हैं और वर्तमान में भी कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें किसी व्यक्ति को केवल इसलिए परेशान किया जाता है, क्योंकि वह किसी एक जाति विशिष्ट से संबंधित है. इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने साल 1989 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम पारित किया था.
इस अधिनियम के तहत अलग-अलग तरह के ऐसे 22 कृत्यों को अपराध माना गया है, जिनके कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित किसी व्यक्ति को अपमान का सामना करना पड़ता हो.
किन राज्यों में कितने मामले
एनसीआरबी रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, अनुसूचित जाति के खिलाफ अत्याचार/अपराध में 2020 (50,291 मामले) की तुलना में 2021 में 1.2% (50,900) की वृद्धि हुई है. वहीं अनुसूचित जनजाति के साथ हो रहे अपराध के मामले सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में ही बढ़े हैं.
- मध्यप्रदेश में साल 2021 में अनुसूचित जनजाति के साथ हुए अपराध के 2627 मामले दर्ज किए गए. जोकि पिछले साल की तुलना में 29.8% ज्यादा है.
- राजस्थान में 2020 की तुलना में साल 2021 में 24% की वृद्धि हुई. यहां एक साल में कुल 2121 मामले दर्ज किए गए हैं.
- ओडिशा में साल 2021 में 676 मामले दर्ज किए गए जो कि पिछले साल की तुलना में 7.6% ज्यादा है.
- महाराष्ट्र में साल 2021 में 628 मामले दर्ज किए गए जो कि साल 2020 से 7.13% ज्यादा है.
- तेलंगाना में दलितों के खिलाफ हुए अपराध के मामले में साल 2021 में 512 मामले दर्ज किए गए. जो कि पिछले साल से 5.81% ज्यादा है.
अब जानते हैं सोशल मीडिया पर वायरल हुए मामलों के बारे में ...
पेशाब कांड: सोशल मीडिया पर कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश के सीधी जिले में एक युवक के साथ अमानवीय व्यवहार करने का वीडियो सामने आया. इस वीडियो में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के ऊपर पेशाब करता नजर आ रहा है. इस मामले में प्रवेश शुक्ला नाम के युवक के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया और उसकी गिरफ्तारी भी की गई.
बंधक बनाकर घंटों पिटाई करने का मामला: यह घटना 7 जुलाई की है. धार जिले के मांडल क्षेत्र के रहने वाले दो भाई ने इंदौर में ट्रेजर फैंटाइजी में मजदूरी करते हैं. काम खत्म होने के बाद दोनों बाइक पर सवार होकर मजदूरी करके वापस जा रहे थे. इसी दौरान तेज बारिश हुई और बारिश के कारण ट्रेजर फैंटाइजी के पास इनकी बाइक गिर गई.
बाइक गिरने पर दोनों भाइयों का सुमित चौधरी, जयपाल सिंह बघेल और प्रेम सिंह परमार नाम के तीन व्यक्ति से विवाद हो गया और तीनों ने मिलकर दोनों भाइयों को बंधक बना लिया. वे उसे पास ही मौजूद गार्ड रूम में ले गए. यहां तीनों लगातार 8 घंटे तक दोनों भाइयों को बंधक बनाए पीटते रहे. हालांकि पुलिस ने तत्काल एक्शन लिया तीनों को गिरफ्तार कर लिया.
शिवपुरी जिले में मैला खिलाने का मामला: बीते 30 जून को लड़कियों के साथ छेड़खानी करने के आरोप में दो दलित युवकों को पूरे गांव मुंह काला कर घुमाया गया. उसके साथ मारपीट किया गया यहां तक की उसे मैला भी खिलाया गया. इससे भी मन नहीं भरा तो जूते-चप्पलों की माला पहनाकर दोनों का जुलूस निकाला. इस मामले में दलितों को प्रताड़ित करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई और सातों आरोपियों की गिरफ्तार कर लिया गया. इस मामले में दो आरोपी महिलाओं को भी गिरफ्तार किया है.
इन मामलों पर मध्य प्रदेश के सीएम ने क्या कहा
सीधी जिले का वीडियो वायरल होने के बाद लगातार शिवराज सरकार पर सवाल उठाये जाने लगे वहीं उन्होंने एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा था ‘अपराधी केवल अपराधी होता है, उसकी कोई जाति, धर्म या पार्टी नहीं होती. सीधी मामले को लेकर मैंने निर्देश दिए हैं, अभियुक्त को ऐसी सजा दी जाएगी जो उदाहरण बने. हम उसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे.’
दलित वोटरों पर किसकी है पकड़
मध्यप्रदेश में साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव से पहले जहां एक तरफ बीजेपी मदलित वोटरों को साधने के लिए संत रविदास का मंदिर बनाने और समरसता यात्राएं निकालने की ठानी है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस लगातार शिवराज सरकार पर इन वायरल वीडियो और राज्य में दलितों के साथ हो रहे अपराध को लेकर घेरती नजर आ रही है.
मध्य प्रदेश में दलितों की आबादी प्रदेश की कुल आबादी की सत्रह से अठारह प्रतिशत है. जिसका मतलब है कि करीब 64 लाख दलित वोटर हैं जिनके लिये 230 विधानसभा की सीटों में से 35 सुरक्षित सीटें है. इनमें से पिछले चुनाव में कांग्रेस को 18 सीट तो बीजेपी ने 17 सीटें जीती थीं. कमलनाथ की सरकार गिरी तो चार दलित विधायक भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए.