इस साल का दक्षिण-पश्चिम मानसून का आधा समय खत्म हो गया है लेकिन अखिल भारतीय स्तर पर दीर्घावधि औसत Long Period Average (LPA) बारिश की तुलना में यह सामान्य से एक प्रतिशत कम है. शनिवार तक देश में 449 एमएम बारिश हुई जो सामान्य 452.3 एमएम से कम है. एलपीए की तुलना में देश में 93 फीसदी बारिश हुई जो सामान्य एलपीए की तुलना में 6.3 प्रतिशत है. हालांकि देश के कुछ राज्यों, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, उत्तराखंड में भारी बारिश हुई जिसके कारण कई राज्यों में बाढ़ आ गई और कई पहाड़ी जगहों पर भूस्खलन के कारण लोगों को जान गंवानी पड़ी.
जून में अच्छी संभावना के साथ हुआ था मानसून का आगमन
जून में कई स्थानों पर समय पूर्व मानसून के आगमन ने जुलाई में अच्छी बारिश की संभावनाओं को सुनिश्चित किया. हालांकि उत्तर भारत के कई हिस्सों में मानसून आने में बहुत देरी हुई. दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब और राजस्थान में बहुत देरी से मानसून आया. खासकर जुलाई में बहुत बाद में मानसून का आगमन हुआ. यही कारण है अखिल भारतीय स्तर पर सामान्य बारिश की तुलना में थोड़ी कम बारिश हुई.
22 से 62 प्रतिशत तक बारिश कम
भारत मौसम विभाग Meteorological Department (IMD) के मुताबिक 5 जुलाई से अब तक पूरे देश में सामान्य से कम बारिश हुई. खासकर जिन राज्यों में ज्यादा वर्षा होती है, वहां इस बार कम बारिश हुई. इन राज्यों में केरल, लक्षद्वीप, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल है. इन राज्यों में 22 से 62 प्रतिशत तक कम बारिश हुई. दूसरी ओर संघशासित राज्य और गुजरात में भी सामान्य से कम बारिश हुई. आईएमडी में क्लाइमेट रिसर्च एंड सर्विस के प्रमुख D Sivanand Pai ने कहा कि पिछले कुछ सालों से केरल और पूर्वोत्तर के राज्यों में सामान्य से कम बारिश हो रही है.
उत्तराखंड, हिमाचल में 4 अगस्त तक बारिश
उन्होंने कहा, जून में कुछ स्थानों पर आंधी-तूफान और मानसून पूर्व बारिश ने सकारात्म वर्षा की शुरुआत की तो लगा सब कुछ अच्छा होगा लेकिन जुलाई में तस्वीर पूरी तरह अलग थी. इधर मौसम विभाग ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में भारी बारिश का अनुमान लगाया है जबकि पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और पंजाब तथा हरियाणा में 4 अगस्त तक सामान्य से मध्यम बारिश का अनुमान लगाया है.
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