इस लोकसभा चुनाव में बड़े-बड़े नेता चुनाव हार गए. औरों को तो छोड़िए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही 20 मंत्री चुनाव हार गए. इन हारे हुए लोगों को पीएम मोदी ने भी अपने मंत्रिमंडल में जगह न देकर किनारे लगा दिया, लेकिन एक नेता ऐसा भी है, जो लोकसभा चुनाव में हारने के बावजूद पीएम मोदी की तीसरी सरकार में मंत्री बन गया है. नाम है रवनीत सिंह बिट्टू. तो आखिर इस हारे हुए शख्स में ऐसा क्या है कि पीएम मोदी समेत पूरी बीजेपी को इस नेता पर इतना भरोसा है और आखिर क्यों रवनीत सिंह बिट्टू का केंद्र में मंत्री बनना बीजेपी के भविष्य के लिए बेहद अहम है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो तीसरा मंत्रिमंडल है, उसमें हारने वाले तो किनारे लगाए ही गए हैं, जीतने वालों में भी कई कद्दावर लोगों को जगह नहीं दी गई है. उदाहरण के तौर पर स्मृति ईरानी, आरके सिंह, संजीव बालियान, अर्जुन मुंडा और अजय मिश्रा टेनी समेत 15 से ज्यादा मंत्री चुनाव हारकर तीसरी सरकार में मंत्री बनने की रेस से बाहर हो गए हैं. तो वहीं जीतने के बावजूद दूसरी मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके अनुराग ठाकुर जैसे कद्दावर नेता भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हैं. हालांकि, पंजाब की लुधियाना सीट से करीब 20 हजार वोटों से चुनाव हारने के बाद भी रवनीत सिंह बिट्टू को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिल गई है.


रवनीत सिंह बुट्टू को क्यों बनाया जा रहा मंत्री?
इसकी वजह है रवनीत सिंह बिट्टू की पंजाब की राजनीति में बनी हुई छवि, जिससे न तो कांग्रेस इनकार कर सकती है और न ही बीजेपी. रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के एक बड़े सियासी घराने से ताल्लुक रखते हैं. उनके दादा बेअंत सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं, जिनकी हत्या खालिस्तानियों ने बम धमाके में कर दी थी. 24 मार्च 2024 से पहले तक खुद रवनीत सिंह बिट्टू खांटी कांग्रेसी हुआ करते थे.


तीन-तीन बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके थे. वो भी दो अलग-अलग सीटों से. 2009 में रवनीत बिट्टू ने आनंदपुर साहिब से जीत दर्ज की थी तो 2014 और 2019 में वो लुधियाना से सांसद बने थे. मार्च 2021 में कुछ दिनों के लिए वो लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन भी बनाए गए थे. 


रवनीत सिंह के लिए प्रचार करने खुद पहुंचे थे अमित शाह
24 मार्च, 2024 को लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले रवनीत बिट्टू कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने भी उन्हें हाथों हाथ लिया और लुधियाना से लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बना दिया. चुनाव प्रचार में खुद गृहमंत्री अमित शाह पहुंचे और कहा, 'मैं जल्दी बिट्टू को बड़ा आदमी बनाऊंग.'


कांग्रेस उम्मीदवार से हारे रवनीत सिंह
अमित शाह के इस बयान के यही मायने निकाले गए कि अगर रवनीत सिंह बिट्टू लुधियाना से चुनाव जीत जाते हैं तो मोदी सरकार में उनका मंत्री बनना तय है. बिट्टू कांग्रेस के उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वडिंग से करीब 20 हजार वोट से चुनाव हार गए. पंजाब के लोगों को लगा कि अब रवनीत सिंह बिट्टू को इंतेजार करना होगा, लेकिन जैसे ही 9 जून की शपथ की तारीख तय हुई, ये भी तय हो गया कि रवनीत सिंह बिट्टू केंद्र में मंत्री बन रहे हैं. खुद रवनीत बिट्टू ने भी शपथ से पहले मीडिया से बातचीत करके प्रधानमंत्री मोदी से हुई बात का जिक्र किया.


पंजाब में रवनीत बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा
रवनीत बिट्टू की इस बात से इतना तो तय है कि अब पंजाब में बीजेपी का सबसे बड़ा कोई चेहरा बन रहा है, वो हैं रवनीत सिंह बिट्टू. बीजेपी अपने सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल से हाथ छुड़ा चुकी है और जिस तरह के नतीजे लोकसभा चुनाव में आए हैं, उसने साफ कर दिया है कि अब बीजेपी पंजाब में अकेले दम पर ही राजनीति करेगी.


इसके लिए उसे जिस फायरब्रांड नेता की जरूरत है, वो रवनीत सिंह बिट्टू ही हैं. इसके अलावा पंजाब में इस बार लोकसभा चुनाव के जो नतीजे आएं हैं और उनमें जिन दो निर्दलीय सांसदों ने जीत दर्ज की है, उसने बीजेपी ही नहीं बल्कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को भी सचेत कर दिया है.


दो निर्दलीयों की जीत बढ़ाई टेंशन
खडूर साहिब सीट से जो नए सांसद बने हैं वो हैं अमृतपाल सिंह संधू, जिन्हें पंजाब का दूसरा भिंडरेवाला कहा जा रहा है. पूरी तरह से खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह तो चुनाव जीतकर सांसद बने ही बने हैं, इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा भी फरीदकोट से सांसद बन गए हैं. इन दोनों की जीत को पंजाब में खालिस्तान के प्रति बढ़ती हमदर्दी के तौर पर देखा जा रहा है. इस हमदर्दी के खात्मे के लिए भी एक ऐसे नेता की जरूरत है, जो खालिस्तान के खिलाफ सख्त हो.


रवनीत सिंह बिट्टू के परिवार का इतिहास इस बात की गवाही देता है क्योंकि रवनीत सिंह बिट्टू के दादा बेअंत सिंह पंजाब के वो मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने पंजाब में चरमपंथियों का खात्मा करने में कोई कोताही नहीं की और इसी की वजह से उनकी हत्या भी हुई. ऐसे में उनके ही पोते रवनीत सिंह बिट्टू का केंद्र में मंत्री बनना और पंजाब की राजनीति में रवनीत सिंह बिट्टू के दखल को बढ़ाना उस खालिस्तान के खात्मे की ओर उठाया गया एक कदम दिख रहा है, जिसने हाल के दिनों में देश ही नहीं पूरी दुनिया के लिए नई चुनौतियां पेश की हैं.