लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा है कि आधार कार्ड में दिये गये नाम, लिंग, पता और जन्मतिथि आदि को का ठोस सबूत नहीं माना जा सकता. पीठ ने साथ ही कहा कि आपराधिक मामलों की जांच में संदेह होने पर इनकी पड़ताल की जा सकती है.
जस्टिस अजय लाम्बा और जस्टिस राजीव सिंह की पीठ ने हाल में दिये गये एक फैसले में कहा कि साक्ष्य अधिनियम के तहत यह नहीं कहा जा सकता कि आधार कार्ड में दिये गये नाम, पता, लिंग और जन्मतिथि का विवरण उनके सही होने के ठोस सबूत हैं.
इस विवरण पर अगर सवाल उठता है और खासतौर आपराधिक मामलों की जांच के दौरान तो जरूरत पड़ने पर इनकी पड़ताल की जा सकती है. अदालत ने बहराइच के सुजौली थाना में दर्ज एक मामले की वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल ही में यह आदेश दिया है.
वहीं, अब भारत के 15 साल से कम और 65 साल से अधिक के नागरिक नेपाल और भूटान की यात्रा के लिए आधार कार्ड का वैलिड ट्रेवल डॉक्यूमेंट के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे. गृह मंत्रालय की हाल में जारी रिलीज़ में ये जानकारी दी गई है.
दोनों पड़ोसी देशों की यात्रा के लिए इन दोनों आयु वर्गों के अलावा अन्य भारतीय आधार कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे. दोनों देशों की यात्रा के लिए भारतीयों को वीजा की आवश्यकता नहीं होती है.
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