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लोकसभा में सीटें नहीं पर वोट जुटाने में माहिर 'INDIA' की 26 पार्टियां, यहां बढ़ा सकती हैं बीजेपी की टेंशन

इंडिया के रूप में 26 दल बीजेपी विरोधी मोर्चे के रूप में एक साथ आई हैं.इस गठन के कई दल कई क्षेत्रों में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ सीधे मुकाबले में रहे हैं.

26 विपक्षी दल बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के खिलाफ 2024 के आम चुनाव लड़ने के लिए एक गठबंधन (इंडिया) बनाने पर सहमति जाहिर की है. इसमें सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पार्टियां भी हैं. वर्तमान में संख्या के लिहाज से देखें तो इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 142 सदस्य हैं, जबकि एनडीए गठबंधन के पास 332 सदस्य.

26 दल या पार्टियां बीजेपी विरोधी मोर्चे के रूप में एक साथ आई हैं. लेकिन इस गठन के कई दल कई क्षेत्रों में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ सीधे मुकाबले में रहे हैं. दूसरी राष्ट्रीय पार्टी आम आदमी पार्टी का कांग्रेस के साथ बेहतर संबंध नहीं रहा है.

पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल में भी इंडिया में शामिल दल एक-दूसरे से लड़ रहे हैं. इस नए गठबंधन को अभी भी प्रमुख राज्यों में सीटों के बंटवारे के समझौतों को तय करना है. इस आर्टिकल में इंडिया में शामिल सभी 26 दलों का पूरा ब्यौरा जानेंगे. 

1-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस: विपक्षी एकता में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के पास लोकसभा में 49 सीटें और राज्यसभा में 31 सीटें हैं. 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में अपनी सबसे हालिया जीत के साथ पार्टी  चार राज्यों - कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में शासन कर रही है.

कांग्रेस बिहार और झारखंड सरकार में हिस्सेदार है. 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर 19.5% था और 2019 के आम चुनावों में थोड़ा बढ़कर 19.7% हो गया. 

साल 2022 में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी को 690 सीटों में से केवल 55 और 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में सिर्फ 17 सीटें मिलीं. 

2023 में कर्नाटक विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीटें हासिल कीं और में सत्ता में आई. पार्टी ने त्रिपुरा में 60 में से सिर्फ तीन, मेघालय में 60 में से पांच सीटें जीतीं, और नागालैंड में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली.

इस समय पार्टी नेतृत्व के मुद्दे सहित कई चुनौतियों का सामना कर रही है. गुजरात उच्च न्यायालय के मानहानि मामले में फैसला आने के बाद पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. 

2019 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ही सभी विपक्षी एकता वार्ताओं का आधार थी. जमीनी काम तृणमूल की ममता बनर्जी और तेलुगु देशम पार्टी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू दोनों ने किया था. इस बार नायडू विपक्षी खेमे से दूरी बनाए हुए हैं और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी खेमे का नेतृत्व कर रहे हैं. 

2-अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी): बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी 35 सांसदों (लोकसभा में 23 और राज्यसभा में 12) के साथ संसदीय ताकत के मामले में देश में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. पार्टी 2011 से पश्चिम बंगाल में सत्ता में है. हालांकि टीएमसी ने इस साल अपना राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया और वर्तमान में पश्चिम बंगाल के अलावा सिर्फ एक अन्य राज्य (मेघालय) में राज्य पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त है. 

3-द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके): तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाली पार्टी के पास संसद में 34 सांसद हैं- इसके लोकसभा में 23 और राज्यसभा में 12 सदस्य हैं. डीएमके तमिलनाडु विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है. केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी उसके पास छह सीटें हैं. लोकसभा में पार्टी के पास तमिलनाडु की कुल 39 सीटों में से 23 सीटें हैं.

4-आम आदमी पार्टी (आप): दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता में है. पार्टी को गोवा और गुजरात में राज्य पार्टी की मान्यता प्राप्त है. आम आदमी पार्टी (आप) ने इस साल की शुरुआत में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल किया. पार्टी से एक सांसद लोकसभा में और 10 उच्च सदन में हैं.

आप के संबध कांग्रेस के साथ अच्छे नहीं रहे हैं, लेकिन दिल्ली सेवा अध्यादेश के मुद्दे पर संसद में  कांग्रेस ने आप का समर्थन किया. 

5-जनता दल (यूनाइटेड): बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पटना में पहली विपक्षी बैठक की मेजबानी हुई. पार्टी के आधिकारिक तौर पर 21 सांसद (16 लोकसभा और पांच राज्यसभा) हैं. पार्टी को प्रभावी माना जा रहा है. नीतीश कुमार ने पिछले साल बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और बिहार में सत्ता में बने रहने के लिए राजद और कांग्रेस से हाथ मिला लिया था.

पार्टी को बिहार और मणिपुर में राज्य पार्टी की मान्यता प्राप्त है. 2019 के आम चुनावों में पार्टी ने निचले सदन में बिहार के लिए कुल 40 सीटों में से 16 सीटें जीतीं. पिछले साल आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार ने बीजेपी के समर्थन से छह चुनाव जीते लेकिन हाल ही में गठबंधन तोड़ दिया.

6-राष्ट्रीय जनता दल (राजद): पूर्व रेल मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी ने पिछले साल बिहार सरकार का हिस्सा बनने के लिए जद (यू) के साथ गठबंधन किया था. पार्टी सीटों के मामले में बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है.

पार्टी के छह सदस्य राज्यसभा सांसद हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने बिहार की 40 सीटों में से 21 पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीती. 2014 में पार्टी ने 27 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 4 सीटें जीतीं. पार्टी पिछले दो आम चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के साथ चुनाव लड़ रही है.

7-समाजवादी पार्टी (सपा): पार्टी की स्थापना दिवंगत नेता और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने की थी. वर्तमान में इसका नेतृत्व उनके बेटे अखिलेश यादव कर रहे हैं. अखिलेश ने मुख्यमंत्री के रूप में एक कार्यकाल पूरा किया है.

पार्टी उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल है. वर्तमान में पार्टी के तीन लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसद हैं.  पिछले आम चुनावों में पार्टी ने सिर्फ पांच सीटें जीतीं. 2022 में उपचुनावों के बाद निचले सदन में उसकी सीटों की संख्या घटकर सिर्फ तीन रह गई. 

8-राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी): आरएलडी को मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समर्थन प्राप्त है. इसका नेतृत्व जयंत चौधरी करते हैं. जयंत पार्टी के संस्थापक अजीत सिंह के बेटे और पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के पोते हैं. जयंत चौधरी पार्टी के एकमात्र सांसद (राज्यसभा) हैं.

9-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई): 1925 में स्थापित सीपीआई 1951-52 में देश के पहले आम चुनावों और 1957 और 1962 में दो बाद के चुनावों में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. हालांकि इसका चुनावी आधार सिकुड़ रहा है.

यह देश के चुनावी इतिहास में एकमात्र पार्टी है जिसके पास पहले आम चुनावों के बाद से अबतक एक ही चुनाव चिह्न - मक्का और हंसिया है. इस साल अप्रैल में चुनाव आयोग ने खराब चुनावी प्रदर्शन के कारण इसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा रद्द कर दिया था. 

2014 के लोकसभा चुनावों में सीपीआई ने 67 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ एक सीट हासिल की. 2019 में पार्टी ने 49 सीटों पर चुनाव लड़ा, दो सीटें जीतीं  वर्तमान में इसके दो लोकसभा सदस्य और दो राज्यसभा सदस्य हैं.

पश्चिम बंगाल और ओडिशा में राज्य पार्टी मान्यता खोने के बाद इसने अपना राष्ट्रीय दर्जा खो दिया है. पार्टी ने वर्तमान में केरल, तमिलनाडु और मणिपुर में राज्य पार्टी की मान्यता बरकरार रखी है. केरल में वह सत्तारूढ़ एलडीएफ का हिस्सा है. 

10-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी): भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व वर्तमान में पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी करते हैं. सीपीआई (एम) 1964 में सीपीआई से अलग हुई थी. शुरुआत में पार्टी के पास अपेक्षाकृत बेहतर संसदीय चुनाव संख्या रही,लेकिन बाद में गिरावट भी आई है. 

2014 में सीपीआई (एम) ने 93 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उसने नौ पर जीत दर्ज की थी. 2019 में 71 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद उसकी सीटों की संख्या घटकर तीन रह गई. पार्टी के आठ सांसद (लोकसभा में तीन और राज्यसभा में पांच) हैं.

पार्टी के पास वर्तमान में केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ गठबंधन का सबसे बड़ा ब्लॉक है, जहां इसके नेता पिनाराई विजयन मुख्यमंत्री हैं. पार्टी बिहार और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ गठबंधन का भी हिस्सा है.

11-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन: सीपीआई से अलग हुआ ये एक और गुट है. सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) वर्तमान में बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है. दीपांकर भट्टाचार्य भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के राष्ट्रीय महासचिव हैं. राज्य में 12 विधायक हैं. संसद में इसका प्रतिनिधित्व नहीं है. 

12-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी): पूर्व केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार द्वारा स्थापित, एनसीपी को पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक के बाद से विभाजन का सामना करना पड़ा है. शरद पवार के भतीजे अजित पवार के नेतृत्व वाला धड़ा बीजेपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गया है.

शरद पवार गुट वर्तमान में कांग्रेस और शिवसेना के साथ राज्य में विपक्ष का हिस्सा है. विभाजित होने से पहले राकांपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीती थीं, जो 2014 की तुलना में एक कम है. वर्तमान में लोकसभा में पवार की बेटी सुप्रिया सुले सहित पार्टी के तीन सांसद हैं और उच्च सदन में दो सदस्य हैं.

13-शिव सेना ( यूबीटी) : बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना ने पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था. 2019 के महाराष्ट्र चुनावों के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने बीजेपी के साथ अपना संबंध तोड़ लिया था. पार्टी ने महा विकास अघाड़ी सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था.

14-झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो): झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी राज्य में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही है. इसके तीन सांसद (एक लोकसभा में और दो राज्यसभा में) हैं.

15-अपना दल (कमेरावाड़ी): अपना दल का नेतृत्व पार्टी के संस्थापक सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल और बेटी पल्लवी पटेल कर रही हैं. कमेरावाड़ी गुट समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ा हुआ है. जबकि केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाला अपना दल (सोनेलाल) भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का हिस्सा है.

16-जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी): पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में यह पार्टी जम्मू-कश्मीर में एक प्रमुख पार्टी है. 2014 में पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य की छह लोकसभा सीटों में से एक पर भी पार्टी को जीत नहीं मिली थी, लेकिन 2019 के चुनावों में  पार्टी को तीन सीटें मिलीं. पार्टी के पास राज्यसभा में कोई सदस्य नहीं है.

17-पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी): पीडीपी जम्मू-कश्मीर में एक बड़ी पार्टी है. पीडीपी का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती कर रही हैं. वर्तमान में लोकसभा में इसका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, लेकिन 2014 के आम चुनावों में तीन सीटें जीती थीं.

18-इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल): आईयूएमएल अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के टूटने के बाद बनी. इसका मुख्य आधार वर्तमान में केरल में है, जहां यह लंबे समय से कांग्रेस की सहयोगी रही है. पार्टी ने 2021 में राज्य की विधानसभा में 15 सीटें हासिल की.

यह केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी यूडीएफ का दूसरा सबसे बड़ा दल है. पार्टी का उत्तरी केरल, विशेष रूप से मलप्पुरम जिले में एक मजबूत आधार है. मुस्लिम सामुदायिक राजनीति में पार्टी सबसे आगे रही है. लोकसभा में इसके तीन और राज्यसभा में एक सदस्य हैं. प्रमुख चेहरों में राष्ट्रीय महासचिव पीके कुन्हालीकुट्टी और राज्यसभा सांसद पीवी अब्दुल वहाब शामिल हैं.

केरल में ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि पार्टी यूडीएफ के साथ अपने दीर्घकालिक संबंध को तोड़ सकती है और माकपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एलडीएफ में शामिल हो सकती है. इस बीच सैयद सादिक अली शिहाब थंगल के नेतृत्व में आईयूएमएल ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के 'फासीवादी शासन' का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों की एकता का आह्वान किया. 

19-रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी): आरएसपी मूल रूप से बंगाल में 1940 में स्थापित वाम मोर्चे का हिस्सा है. आरएसपी ने 2014 में एक अन्य गुट ने आरएसपी (लेनिनवादी) का गठन किया.

पार्टी केरल में विपक्ष में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का हिस्सा है. आरएसपी ने 2014 में केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ के साथ अपने तीन दशक से ज्यादा के संबंध को तोड़ दिया था. पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में वह वाम मोर्चे का हिस्सा है.

पार्टी के पास वर्तमान में केरल, पश्चिम बंगाल या त्रिपुरा विधानसभाओं में कोई सीट नहीं है, लेकिन प्रमुख नेता एन. के. प्रेमचंद्रन कोल्लम निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद हैं, जो पार्टी का गढ़ भी है.

20-ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक: वाम गठबंधन का एक छोटा घटक ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक( एआईएफबी) की स्थापना सुभाष चंद्र बोस ने की थी. वर्तमान में संसद या किसी भी राज्य विधानसभा में इसका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. पार्टी को उन राज्यों में कुछ समर्थन हासिल है जहां कभी वाम दलों का वर्चस्व था.

21-मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके): तमिलनाडु और पुडुचेरी में समर्थन आधार के साथ एमडीएमके का गठन राज्यसभा सदस्य वाइको ने 1994 में डीएमके से निष्कासित किए जाने के बाद किया था.  कथित तौर पर उन्हें एम. करुणानिधि के बेटे और तमिलनाडु के वर्तमान मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के लिए खतरा माना जाता था. 

पार्टी वर्तमान में तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन का सदस्य है. राज्य विधानसभा या लोकसभा में इसकी कोई सीट नहीं है, लेकिन वाइको 2019 से उच्च सदन (राज्यसभा) के सदस्य हैं.

22-विदुथलाई चिरुथैगल काची (वीसीके): वीसीके या लिबरेशन पैंथर्स पार्टी को पहले दलित पैंथर्स इयक्कम के नाम से जाना जाता था. पार्टी ने 1999 में तमिलनाडु में अपना पहला राज्य चुनाव लड़ा और तब से राज्य की चुनावी राजनीति में सक्रिय है. पार्टी ने 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.

पार्टी ने तब डीएमके के सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ा था और चार सीटें हासिल कीं .यह वर्तमान में द्रमुक के नेतृत्व में राज्य में सत्तारूढ़ धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन (एसपीए) का हिस्सा है और इसका नेतृत्व पार्टी संस्थापक वकील थोल कर रहे हैं.

वर्तमान में केवल तमिलनाडु में इसके विधायक हैं. पार्टी आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के दक्षिणी राज्यों में विस्तार करना चाहती है,  उसने इन राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव लड़े हैं. वर्तमान में पार्टी के चार विधायक हैं. 

23-कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके): केरल में स्थित इस पार्टी का गठन 2013 में किया गया था. यह कोंगुनाडु मुनेत्र कड़गम (केएमके) से अलग हो कर बनी पार्टी है. पार्टी तमिलनाडु के कोंगु नाडु क्षेत्र में गौंडर जाति का प्रतिनिधित्व करती है.

इसका नेतृत्व व्यवसायी से राजनेता बने ई. आर. ईश्वरन कर रहे हैं और यह तमिलनाडु में द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा है. पार्टी को पश्चिमी तमिलनाडु में कुछ समर्थन हासिल है. पार्टी के लोकसभा में एक सदस्य एकेपी चिनराज हैं, उन्होंने द्रमुक के चुनाव चिह्न पर जीत हासिल की है. 

24-मणिथनेया मक्कल काची (एमएमके): एमएमके का नेतृत्व एमएच जवाहिरुल्लाह कर रहे हैं और यह तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा है. पार्टी से जवाहिरुल्लाह वर्तमान में एक विधायक हैं और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य के रूप में भी कार्य करते हैं. संसद में पार्टी का कोई सदस्य नहीं है.

25- केरल कांग्रेस (मणि): केरल में स्थित पार्टी पूर्ववर्ती केरल कांग्रेस का हिस्सा थी, लेकिन केएम मणि के नेतृत्व वाले एक गुट ने 1979 में अलग होकर केसी (एम) का गठन किया. वर्तमान में जोस के. मणि की अध्यक्षता वाली पार्टी का कोट्टायम में मजबूत गढ़ है.

यह माकपा नीत एलडीएफ का हिस्सा है. इसने 2021 में राज्य विधानसभा चुनावों में पांच सीटें जीतीं और एक लोकसभा और एक राज्यसभा सदस्य है. 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले केसी (एम) कोट्टायम, इडुक्की और पथनमथिट्टा जिलों के कृषि केंद्र में अपनी विशेष स्थिति दर्ज करने की रणनीति पर काम कर रही है.  

26-केरल कांग्रेस (जोसेफ): केरल में स्थित केरल कांग्रेस (जोसेफ) पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का हिस्सा है, जो पिछले विधानसभा चुनावों में केरल में माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ के लिए मुख्य प्रतिद्वंद्वी था. 

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